कोरोना संकट: कैदियों को मिली पैरोल, एक ने बाहर आने से किया मना, कही ये बात
जेल से पैरोल के बावजूद कैदी ने जेल से निकलने से मना कर दिया है.
कोरोना काल में जेलों में बंद कैदियों की संख्या को कम करने के लिए जेल में बंद कुछ बंदियों को 2 महीने की पैरोल पर छोड़ा जा रहा है. कुछ कैदी पैरोल मिलते ही अपने घर लौटे लेकिन मेरठ के जिला कारागार में बंद एक कैदी पैरोल पर जेल से बाहर नहीं जाना चाहता. जेल के अधिकारियों का कहना है कि बंदी कह रहा है कि उसको जेल में ज्यादा सुरक्षा महसूस होती है, इसलिए वह पैरोल पर नहीं जाना चाहता. जेल से पैरोल के बावजूद कैदी ने जेल से निकलने से मना कर दिया है.
मेरठ जिला कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉक्टर बीडी पाण्डेय ने बताया कि उनके यहां एक बंदी ने पैरोल पर रिहा होने से इंकार किया है. उन्होंने बताया कि बंदी जेल में ज्यादा सुरक्षित और स्वस्थ महसूस कर रहा है. बंदी का भी यही कहना है कि जेल में रहकर वो अपनी सजा पूरी करना चाहता है. इस बंदी ने जिला कारागार प्रशासन को लिखकर दिया है कि वो पैरोल पर रिहाई नहीं चाहता है.
वरिष्ठ जेल अधीक्षक बीपी पांडे ने बताया कि शासन के आदेश पर 42 सिद्ध दोष बंदियों को पैरोल पर अब तक रिहा किया जा चुका है. वरिष्ठ जेल अधीक्षक का कहना है कि एक आशीष नाम का दोषी बंद है. वह दहेज उत्पीड़न केस में सजायाफ्ता है. उसने पैरोल पर जाने से मना कर दिया है. जब उससे पूछा गया कि सब लोग जा रहे हैं लेकिन वह क्यों नहीं जाना चाहता, तो कैदी आशीष ने कहा कि वह अपने आप को जेल में ज्यादा सुरक्षित महसूस करता है.
कैदी का कहना है कि यहां मेडिकल चेकअप की सुविधा है, सफाई और सैनिटाइजेशन है. समय पर सब दवा इलाज है. जेल में हर वक्त डॉक्टर मौजूद हैं, इन सब वजहों से ही दोषी आशीष ने कहा कि वह अपनी सजा पूरी कर के जाएगा.
वरिष्ठ जेल अधीक्षक का कहना है कि 42 कैदियों के अलावा 325 विचाराधीन बंदी है, जिनको न्यायालय के आदेश पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया है. वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि यह पैरोल का मामला है. इसको होम लीव जैसा माना जा सकता है. यह जो 2 महीने का वक्त है यह किसी को सजा से छूट नहीं देता है, इस अवधि को बाद में उसको बिताना पड़ेगा, जिसे आशीष सोचा कि वह यहीं रहकर अपनी सजा पूरी करके ही जाएगा.