BJP से होगा अगला CM! सीएम की रेस से शिंदे ने पीछे खींचे पैर? कल बड़ी बैठक
देवेंद्र फडणवीस का सीएम बनना लगभग तय.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी रस्साकशी के बीच एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके फैसला पीएम मोदी और अमित शाह पर छोड़ दिया है। उन्होंने अपनी ढाई साल की सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश किया तो वहीं यह भी कहा कि महायुति में सीएम पद को लेकर कोई मतभेद नहीं है। एकनाथ शिंदे ने कहा कि ऐसी चर्चाएं गलत हैं कि महायुति में इसे लेकर कोई मतभेद है। राज्य के विकास में महाविकास अघाड़ी ही स्पीडब्रेकर था, जिसे जनता ने हटा दिया है। उन्होंने इस दौरान मुख्यमंत्री पद से इशारों में ही सही, लेकिन अपना दावा छोड़ दिया।
एकनाथ शिंदे ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह जो फैसला लेंगे, वह हमें स्वीकार होगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मेरे लिए कुछ और नहीं बल्कि कॉमन मैन है। यदि वह भाजपा का मुख्यमंत्री भी बनाएंगे तो हमें स्वीकार होगा और इससे कोई आपत्ति नहीं होगी। एकनाथ शिंदे ने कहा कि मेरी तो लाड़ला भाई की पहचान बन गई है और वह सभी पदों से ऊपर है। एकनाथ शिंदे ने अपनी नाराजगी की खबरों को भी गलत बताया। शिंदे ने कहा कि हम नाराज होने वाले लोग नहीं हैं बल्कि लड़ने वाले हैं। हम लड़कर भी काम करते हैं।
महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैंने पीएम मोदी से बात की थी और कहा कि यदि सरकार के गठन में मेरी वजह से कोई परेशानी है तो मैं हटने के लिए तैयार हूं। आपको मेरे चलते कोई बात दिमाग में लाने की जरूरत नहीं है। मेरे लिए हर फैसला स्वीकार है। आप ही महायुति परिवार के मुखिया हैं।' एकनाथ शिंदे ने कहा कि मैंने ढाई साल में जो काम किया है, उससे लोगों के बीच मेरी छवि लाडला भाई की बनी है। यह पद मेरे लिए अन्य किसी भी जिम्मेदारी से बड़ा है। मुख्यमंत्री का मतलब तो मैंने हमेशा कॉमन मैन समझा है और राज्य के लोगों को परिवार का मेंबर समझते हुए सभी के लिए काम किया है।
शिवसेना लीडर ने कहा कि भाजपा जिसे भी मुख्यमंत्री का चेहरा बनाएगी, हम उसके साथ रहेंगे और पूरा समर्थन करेंगे। एकनाथ शिंदे ने अपने घर पर आयोजित पीसी में कहा कि जनता ने माना है कि हमने बीते ढाई साल में जमकर काम किया है और इसीलिए इतना मजबूत समर्थन मिला है। कुल मिलाकर भाजपा का भी चीफ मिनिस्टर स्वीकार है कि बात कहकर एकनाथ शिंदे ने पद पर अपना दावा छोड़ दिया है। साफ है कि वह भाजपा के मुख्यमंत्री को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।
जानकारों का कहना है कि अजित पवार की ओर से देवेंद्र फडणवीस का समर्थन किए जाने के बाद से ही एकनाथ शिंदे गुट दबाव में था। ऐसे में उन्होंने समझौता करना ही ठीक समझा ताकि सरकार में भी बने रहेंगे और विश्वास भी बना रहेगा। माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे की पार्टी को अब केंद्र सरकार में भी अच्छा प्रतिनिधित्व मिल सकता है। इसके अलावा राज्य में भी भाजपा के बाद दूसरे नंबर पर वह रहेगी और करीब एक दर्जन मंत्री उनके होंगे। फिलहाल एकनाथ शिंदे को लेकर कयासों का दौर जारी है।