भोपाल। भोपाल में गीतकार मनोज मुंतशिर ने कहा- विदेशी मां से पैदा बेटा राष्ट्रभक्त हो ही नहीं सकता, प्रॉब्लम DNA का है। ये बात उन्होंने सोमवार रात रवींद्र भवन में आयोजित कार्यक्रम में कही। मुंतशिरनामा में 'मैं भारत हूं' विषय पर बोलते हुए मनोज ने कहा- भारत दुनिया में ऐसा अकेला देश है, जहां देशभक्ति सिखानी नहीं पड़ती, हम इसे अपने DNA में लेकर पैदा होते हैं। अभी हमने चीन को भगाया।
मुंतशिर ने कहा- हमें दुख होता है जब एक निहायत गैरजिम्मेदार राजनेता कहता है कि हमारे देश के सैनिक चाइनीज सैनिकों से पिट गए। इतनी शर्मनाक भाषा का प्रयोग कैसे करता है कोई, लेकिन मैं उसे क्या दोष दूं। मैंने चाणक्य को पढ़ा है। मैं आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य के स्टेटमेंट को कोट कर रहा हूं- विदेशी माता से पैदा हुआ बेटा कभी राष्ट्रभक्त नहीं हो सकता।
मुंतशिर ने कहा- मैं उस भारत से आता हूं, जिसके होंठों पे गंगा और हाथों में तिरंगा है। भारत का अर्थ इंडिया बिल्कुल नहीं है। भारत दो धातुओं को मिलाकर बनता है। 'भा' और 'रत'। भा का मतलब संस्कृत में प्रकाश के लिए होता है। 'रत' का मतलब जुटा हुआ या लगा हुआ। यानी जो प्रकाश की खोज में निरंतर जुटा हुआ है, वही भारत है। मुंतशिर अपने लिखे गीत 'तेरी मिट्टी में मिल जावां...' सॉन्ग की धुन पर मंच पर आए थे।
कांग्रेस ने दिया जवाब
मनोज मुंतशिर के इस बयान पर कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट किया- भाड़े के नाम और चोरी के गाने लिखने वाले मनोज मुंतशिर जिस मां का विदेशी कहकर अपमान कर रहे हैं वो लोकतंत्र में 6 बार चुनी सांसद हैं। संघी अवसरवादी- दाम्पत्य, मां का ओहदा और हिंदुस्तान की संस्कृति नहीं समझ सकते। तथाकथित कवि से सड़क छाप चवन्नी का ट्रोल बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगा।
राहुल ने कहा था- चीन हमारे सैनिकों को पीट रहा है
बता दें कि 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय सैनिकों की चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प हुई थी। जिसमें भारतीय सैनिकों ने घुसपैठ कर रहे चीन के करीब 300 सैनिकों को पीछे खदेड़ दिया था। इसके बाद बीते शुक्रवार को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राजस्थान में राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को नसीहत देते हुए कहा था कि चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है और मोदी सरकार सोई हुई है। साथ ही उन्होंने कहा था कि चीनी सैनिक हमारे जवानों को अरुणाचल प्रदेश में पीट रहे हैं।
हमारे राजा सड़क किनारे चटाई बिछाकर थोड़े ही रहते थे....
मुंतशिर ने कहा- जब जीरो दिया मेरे भारत ने दुनिया को तब गिनती आई। तारों की भाषा भारत ने दुनिया को पहले सिखलाई। देता न दशमलव (डेसिमिल) भारत तो यूं चांद पे जाना मुश्किल था। धरती और चांद की दूरी का अंदाजा लगाना मुश्किल था। सभ्यता जहां पहले जन्मी, पहले जन्मी जहां कला, अपना भारत वो भारत है, जिसके पीछे संसार चला।
मेरा और आपका यही भारत, जिसके पीछे संसार चला, कुछ बुद्धजीवी सालों साल हमारे कान में मंत्र फूंकते रहे कि तुम्हारा तो कुछ था ही नहीं, तुम्हें तो कुछ आता ही नहीं था। तुम्हारे पास तो अपना कहने को कुछ नहीं है। न तुम्हें लिटरेचर आता था, न तुम्हें पोएट्री आती थी, न तुम्हें अदब आता था, न तुम्हें आर्किटेक्चर आता था। कुछ नहीं था तुम्हारे पास।
हमें ये समझाया जाता है कि ये जो कुछ विदेशी आक्रमणकारी जो हमें लूटने आए थे, इनका उपकार मानें हम...।
मैं कहना चाहता हूं कि दुनिया का पहला जो संग्रहित काव्य है, वो वाल्मीकि रामायण है। ये किसने लिखी, हमारे ही ऋषि ने...। मेघदूत कालिदास जी ने ढाई हजार साल पहले मध्यप्रदेश में लिख दी। ... और आप हमें बताते हैं कि शायरी हमने तुमको दी, तुमको तो लिखना ही नहीं आता था। कहते हैं कि तुम्हें म्यूजिक नहीं आता था। नाद को ब्रह्म कहने वाली पहली संस्कृति हैं हम...। हमसे पहले इसका गुमान तक किसी को नहीं था। संगीत का पहला शास्त्र सामवेद हमारा है। फिर आप हमको बताते हैं कि तुम्हारे पास अपना कुछ नहीं है।