AIIMS का हाल, जिला अस्पताल रैफर हो रहे मरीज

Update: 2024-07-30 11:15 GMT
Bilaspur. बिलासपुर। प्रदेश का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान एम्स बिलासपुर में समस्याओं का अंबार खड़ा हो गया है। लेकिन यहां पर उपचार के लिए आने वाले मरीजों की इन समस्याओं को लेकर कोई भी गंभीर नहीं दिख रहा है। एम्स में उपचार के लिए आने वाले मरीजों के साथ ही तीमारदारों की समस्याओं के बारे में प्रदेश सरकार के साथ ही केंद्र सरकार के समक्ष ही मसले को उठाया जाएगा, ताकि यहां पर उपचार के लिए आने वाले लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके। यह बात सोमवार को सर्किट हाऊस बिलासपुर में आयोजित प्रेसवार्ता में जिला परिषद स्वास्थ्य, शिक्षा समिति के अध्यक्ष एवं जिला परिषद सदस्य गौरव शर्मा ने कही। इस दौरान उन्होंने कहा कि एम्स में स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश का सबसे बड़ा संस्थान कहे जाने वाले एम्स बिलासपुर से मरीज क्षेत्रीय अस्पताल के लिए रैफर किए जा रहे हैं। क्षेत्रीय अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले मरीजों को जहां उपचार के दौरान प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। वहीं, एम्स में उपचार करवाने लोगों को भारी भरकम राशि चुकानी पड़ रही है। गौरव शर्मा ने कहा कि एम्स बिलासपुर में अधिकतर निजी लैब हैं और इन लैब में मरीजों से टैस्ट के अधिक पैसे वसूले जा रहे हैं। प्रदेश भर के मरीज और तीमारदार एम्स में
उपचार के लिए पहुंचते हैं।

लेकिन एम्स बिलासपुर की कैंटीन में न तो लंच मिलता है और न ही डिनर की सुविधा अभी तक हो पाई है। इसके अलावा अन्य जो भी सामान कैंटीन में मिलता है, उसके भी ज्यादा दाम वसूल किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सबसे हैरानी की बात है कि एम्स बिलासपुर की अपेक्षा क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में महिलाओं के प्रसव का आंकड़ा एम्स बिलासपुर से कहीं अधिक है। क्षेत्रीय अस्पताल में एक ही स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक हैं जबकि एम्स बिलासपुर सात चिकित्सकों की तैनाती की गई है। ऐसे में एम्स की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठाना लाजिमी ही है। गौरव शर्मा ने कहा कि बहुत हैरानी की बात है कि एम्स में डिलीवरी के लिए भी पैसे की अदायगी करनी पड़ रही है। जिला परिषद सदस्य गौरव शर्मा ने कहा कि जिला के लोगों के अलावा प्रदेश भर के लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें एम्स में बेहतर सेवाएं मिलेंगी। लेकिन वर्तमान में लोगों को समस्या झेलनी पड़ रही है। लोगों को पार्किंग की समस्या भी झेलनी पड़ रही है। इसके अलावा इससे भी अहम समस्या यह है कि मरीज को यदि दूसरी जगह जाना हो तो एम्स में चलाए गए इलेक्ट्रिक वाहन भी कम पड़ रहे हैं, ऐसे में इन वाहनों का आंकड़ा भी यहां पर बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा से मांग उठाई है कि इस विषय पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जिला से संबधित हैं, ऐसे में उम्मीद है कि इस तरह की यह समस्याएं प्राथमिकता के आधार पर सुलझेंगी। प्रदेश सरकार के समक्ष भी इस मसले को उठाया जाएगा। प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र को सुदृढ़ किया जा रहा है। इस मौके पर उनके साथ समाजसेवी विक्की भट्टाए अजय व अन्य मौजूद रहें।
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