चौकी इंचार्ज और 5 पुलिस वालों ने किसान को रातभर पीटा, कोर्ट ने कमिश्नर से मांगी रिपोर्ट
जानिए क्या है मामला
ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा से बड़ी खबर है। पुलिस वारंटी अभियुक्तों के खिलाफ अभियान चला रही है। इसी सिलसिले में रविवार की रात अजायबपुर पुलिस चौकी के इंचार्ज और 5 अन्य पुलिसकर्मियों ने घोड़ी बछेड़ा गांव से संजय नामक किसान को गिरफ्तार किया। आरोप है कि 43 वर्षीय किसान संजय को चौकी में बंद करके रातभर पीटा गया है। इस मामले की शिकायत किसान ने जिला न्यायालय में की है। अदालत ने गौतमबुद्ध नगर की पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह से रिपोर्ट मांग ली है।
वर्ष 2017 में थाना दादरी पर दर्ज हुए एक मुकदमे में वांछित चल रहा था। दरअसल, जमीन पर कब्जा लेने गई ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और शापूरजी पालोनजी कंपनी की टीम के साथ मारपीट हुई थी। किसानों पर अभद्रता करने के आरोप में शापूरजी पालोनजी एंड कंपनी के ऑफिसर एडमिनिस्ट्रेटिव संतोष माहोरे की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया था। यह मुकदमा अज्ञात किसानों के खिलाफ दर्ज किया गया था।
आरोप है कि गिरफ्तारी करने पहुंची अजायबपुर चौकी पुलिस ने संजय को घर से बिना बताए गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी का कारण पूछने पर संजय और उसके परिवार के साथ पुलिस कर्मियों ने अभद्रता की। घर से गिरफ्तार करके चौकी ले जाकर पूरी रात चौकी इंचार्ज और 5 अन्य पुलिसकर्मियों ने संजय के साथ मारपीट की। मारपीट के चलते संजय जख्मी हो गए है। संजय को जख्मी हालात में कोर्ट के सामने पेश हुए। बताया कि उन्हें पीटने के लिए पुलिस ने कीलों का इस्तेमाल किया है। हाथ और पांव की अंगुलियों के जोड़ों पर वार किए गए हैं। संजय की अंगुलियों, कमर, हाथ-पांव और चेहरे पर चोट के निशान हैं। संजय की यह हालत देखते ही न्यायालय ने संज्ञान लिया है। अदालत ने सीपी लक्ष्मी सिंह को चिट्ठी लिखी है। कोर्ट ने संजय को जमानत दी और शारदा अस्पताल में भर्ती करवाया है।
अपर सिविल जज (जूनियर डिवीजन) नुपुर श्रीवास्तव के हस्ताक्षर की हुई एक चिट्ठी 'ट्राईसिटी टुडे' की टीम को मिली है। चिट्ठी में संजय के शरीर पर चोट और सूजन आने संबंधित चिकित्सीय रिपोर्ट का जिक्र किया गया है। संजय के अधिवक्ता ने अदालत में आरोप लगाया है कि चौकी इंचार्ज और अन्य 5 पुलिस कर्मियों ने संजय के घर में घुसकर बिना कारण बताए उठा लिया। रातभर थाने पर संजय के साथ मारपीट की गई है। सीपी नोएडा को लिखी गई चिट्ठी में दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध जांच करके एक माह के अंदर रिपोर्ट मांगी गई है।