PF के 48 करोड़ की हेराफेरी का मामला, अकाउंटेंट समेत 7 दबोचे गए

जानें पूरा मामला।

Update: 2022-03-08 06:22 GMT

लखनऊ: लखनऊ और नोएडा में बने स्मारकों के रखरखाव और सुरक्षा के लिए तैनात कर्मचारियों के पीएफ अकाउंट से करोड़ों रुपये निकालने के मामले में लखनऊ पुलिस ने एलडीए के अकाउंटेंट समेत सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. दरअसल, एक साल पहले अंबेडकर स्मारक समिति के कर्मचारियों के पीएफ खाते से पैसा जालसाजी कर ट्रांसफर करवाई गई थी.

31 मार्च 2020 को हजरतगंज के पंजाब नेशनल बैंक शाखा के स्मारक समिति के बचत खाते से 48 करोड़ बैंक ऑफ बड़ौदा की रोशनाबाद ब्रांच में ट्रांसफर कर दिए गए थे. लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के अकाउंटेंट संजय सिंह को जानकारी थी कि भविष्य निधि की इस रकम का एफडी करवाया जाना है.
इसका फायदा उठाते हुए संजय सिंह ने रोशनाबाद की बैंक ऑफ बड़ौदा ब्रांच में समिति के नाम का फर्जी बचत खाता खुलवाया. एलडीए सचिव पवन गंगवार के फर्जी दस्तखत वाला फर्जी पत्र लगाकर संजय सिंह ने अपने करीबी शैलेंद्र उर्फ शैलू और कृष्ण मोहन श्रीवास्तव को खाताधारक बनवा दिया.
फर्जी दस्तावेजों के जरिए भविष्य निधि के 48 रुपये करोड़ इस पर फर्जी बैंक अकाउंट में ट्रांसफर भी कर दिए गए. बाद में इस रकम से 35 करोड़ रुपये पे राइट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए. मामले की जानकारी एलडीए को लगी तो अफरा-तफरी मच गई.
विभाग में 48 करोड़ रुपये गायब होने पर जांच शुरू की गई तो आरोपियों ने 2-2 करोड़ की किस्त में 20 दिन के अंदर 38 करोड़ रुपये वापस समिति के असली खाते में जमा कर दिए. असली खाते में जमा किए गए 38 करोड़ में 13 करोड़ फर्जी खाते से और 25 करोड़ पे राइट कंपनी के खाते से जमा कराए गए.
इसके बाद पे राइट कंपनी के डायरेक्टर सतीश पांडे और मंगलेश सिंह ने 10 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने से मना कर दिया. जब पूरी रकम समिति के खाते में नहीं पहुंची तो मामले का खुलासा हुआ और एफआईआर दर्ज हुई. पुलिस ने जांच के बाद अकाउंटेंट संजय सिंह, खाताधारक शैलेंद्र सिंह, कृष्ण मोहन श्रीवास्तव समेत 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया.
मिली जानकारी के अनुसार, इस पूरे धोखाधड़ी में शामिल कृष्ण मोहन श्रीवास्तव को गोंडा पुलिस बाइक चोरी में पहले भी जेल भेज चुकी है. वहीं दूसरी तरफ स्मारक समिति के नाम से बनी फर्जी ईमेल आईडी को चलाने वाला संदीप सिंह 6 करोड़ के घोटाले का आरोपी है. सीबीआई कोर्ट से 2015 में इसे 7 साल की सजा सुनाई गई थी.
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