विधायक के बेटों पर केस दर्ज, वनकर्मियों पर किया था हमला

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Update: 2022-04-24 02:51 GMT

श्योपुर: मध्य प्रदेश के श्योपुर में नशे में धुत विधायकों द्वारा वनकर्मियों पर हमला करने का मामला सामने आया है, हालांकि पुलिस ने काफी फजीहत के बाद केस दर्ज कर लिया है. श्योपुर में शराब के नशे में धुत बीजेपी विधायक के दबंग बेटों ने सत्ता के नशे में खूब हंगामा काटा. श्योपुर के विजयपुर से भाजपा विधायक सीताराम आदिवासी के बेटे धनराज ओर दीनदयाल आदिवासी ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर बुढेरा वन रेंज की पिपरानी वन चौकी पर तैनात वनकर्मियों से गाली गलौज करते हुए जमकर मारपीट की. सत्ताधारी बीजेपी विधायक सीताराम आदिवासी के बेटों की वनकर्मियों से खुले आम की गई गुंडागर्दी ओर दबंगाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पुलिस उप मंडल अधिकारी राम तिलक मालवीय ने कहा, धनराज, दीनदयाल, टिल्लू और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ आईपीसीसी की धारा 323, धारा 294 और धारा 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है. धनराज और दीनदयाल बीजेपी विधायक के बेटे हैं.

आरोप है कि श्योपुर के विजयपुर से बीजेपी विधायक के बेटों ने वनकर्मियों से इसलिए मारपीट की, क्योंकि वन कर्मियों ने विधायक पुत्र को जंगल से पेड़ों की अवैध कटाई सहित जंगल से रेत और पत्थरों का अवैध उत्खनन ओर अवैध परिवहन का कारोबार करने से रोक दिया था. बस यही बात रसूखदार विधायक पिता के बेटों को नागवार गुजरी और सत्ता के नशे में चूर विधायक के बेटों ने पिपरानी गांव की फारेस्ट चौकी पहुँचकर दो वन कर्मी और एक चालक से अभद्रता, गाली गलौज करते हुए मारपीट की. साथ ही जान से मारने की धमकी देते हुए वन कर्मियों के कपड़े तक फाड़ डाले.
बीजेपी विधायक के बेटों द्वारा वनकर्मियों से की गई मारपीट की घटना के बाद जब पीड़ित वनकर्मी कराहल थाने में विधायक पुत्रों की FIR दर्ज कराने पहुंचे तो श्योपुर पुलिस भी विधायक के रसूख के आगे बौनी दिखाई दी. पीड़ित वन कर्मियों ने आरोप लगाया कि बीजेपी विधायक के चलते कराहल थाने की पुलिस ने घायल वनकर्मियों की MLC तक नही कराई तो दूसरी और उनकी FIR दर्ज करने की जगह सिर्फ आवेदन देकर जांच करने की बात के साथ भगा दिया. हालांकि बाद में केस दर्ज करना पड़ा.
श्योपुर पुलिस को जब पीड़ित वनकर्मियों ने उनसे मारपीट करने बाले विधायक के आरोपी पुत्रों के नाम बताए उसके बाद भी पुलिस जांच की बात कहते हुए आरोपियों पर कार्यवाही करने से बचती दिखी है. पूरे मामले में सामान्य वन मंडल के अफसर भी चुप्पी साधे हुए बैठे है.
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