BSL परियोजना राष्ट्र के लिए कुबेर, विस्थापितों के लिए सफेद हाथी

Update: 2024-07-07 11:24 GMT
Pandoh. पंडोह। देश की बड़ी परियोजनाओं में बीएसएल परियोजना शामिल है। रविवार को बीबीएमबी द्वारा बीएसएल परियोजना का स्थापना दिवस आयोजित किया जा रहा है। जिसमें पंडोह डैम पर बने परियोजना निर्माण में अपनी शहादत देने वालों की आत्म की शांति के लिए मौन रखा जाता है तथा श्रद्धांजलि दी जाती है, जो सराहनीय कार्य है। मगर स्थापन दिवस के इतिहास में कभी भी किसी शहिद के परिवार को आमंत्रित या सम्मानित नहीं किया गया। न ही पंडोह डैम के लिए अपनी सोना उगलती ज़मीन देने वाले किसी विस्थापित परिवार को सम्मानित किया गया। इस से साफ होता है कि यह केवल रस्म है। जिसके सहारे बीबीएमबी के कर्मचारी अधिकारी मौज मस्ती करते हैं। मिष्ठान और अल्पाहार का आनंद लेते हैं। इसके सिवा और कुछ नहीं होता है। बता दें कि 990 मेगावाट की बीएसएल परियोजना किसी कुबेर के खजाने से कम नहीं है। इस परियोजना से पांच राज्यों पंजाब , हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल को विद्युत के साथ पानी की भी पूर्ति की जाती है। पंडोह से बग्गी तक टनल के माध्यम से ब्यास नदी का पानी का रूख मोड़ा गया है। बग्गी से सुंदरनगर तक पानी को चैनल से व फिर एक टनल से डैहर पावर हाउस तक पानी को
भाखड़ा बांध के जलाश्य में डाला गया है।

अपने आप में बहुत ही अद्भुत और आकर्षक परियोजना है। इस पर हर भारतवासी को गर्व है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस परियोजना को राष्ट्र गौरव की संज्ञा दी है। मगर इस परियोजना के विस्थापितों का दर्द आज नासूर बन गया है। बीएसएल परियोजना विस्थापित कल्याण समिति के संस्थापक अध्यक्ष बी आर भाटिया, सचिव देवी सिंह, देवी राम कौंडल व मार्गदर्शक आर के वर्मा ने बताया कि 70 प्रतिशत विस्थापित परिवार आज भी जमीन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। रोजगार नहीं दिया गया है। इन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बीबीएमबी के कर्मचारी अधिकारी सेवा निवृत्ती के बाद 3-3 बार एक्सटेंशन ले रहे हैं। जो दूसरे युवाओं के रोजगार पर डाका है। उनके लिए टेंशन है। केवल बीबीएमबी के कर्मचारी अधिकारी ही पार टाइम व नियमित सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। जिससे परियोजना विस्थापित व शहीदों के परिवार वंचित हो रहे हैं। इतना ही नहीं स्थानीय लोगों के लिए भी बीबीएमबी द्वारा किसी भी प्रकार की कोई सहायता या सुविधाएं प्रदान नहीं की जाती है। गत वर्ष पडोह डैम से एकाएक बिना सूचना के पानी छोडऩे से पडोह बाजार सहित मंडी तक लोगों के घर बार सब पानी पानी हो गए। करोड़ों का नुक सान हुआ। अन्य राज्यों से सामाजिक संगठनों व लोगों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाए मगर बीबीएमबी एक फूटी कौड़ी की मदद नहीं कर सकी। जबकि कैचमेंट एरिया प्लान में लोगों को सुविधाएं देना परियोजना की प्राथमिकता है। लोग इस वर्ष भी सहमे हुए है। ऐसे में बीएस एल परियोजना स्थापन दिवस महज एक औपचारिकता भर है स्थानीय लोगों व विस्थापित परिवारों के जख्मों पर नमक के समान है।
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