मलबे में दबा मिला भारत के लापता युवक का शव, ओम के टैटू से हुई पहचान
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नई दिल्ली: तुर्की में 6 फरवरी को आए भीषण भूकंप के बाद से लापता एक भारतीय नागरिक शनिवार को उस होटल के मलबे में मृत पाए गए जहां वह ठहरा हुए थे. उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले और बेंगलुरु की एक कंपनी के लिए काम करने वाले विजय कुमार गौड़ एक आधिकारिक काम से तुर्की गए हुए थे. भारतीय दूतावास के मुताबिक विजय का चेहरा पहचानना मुश्किल था, क्योंकि उनका चेहरा पूरी तरह से कुचल गया था और उनके एक हाथ पर 'ओम' शब्द का टैटू था.
बता दें कि विजय कुमार गौड़ पौड़ी जिले के कोटद्वार के पदमपुर इलाके के रहने वाले थे. तुर्की के उस होटल के मलबे में शुक्रवार को उनके कपड़े मिले थे. इसके बाद शनिवार को तुर्की में मौजूद भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया, 'हम दुख के साथ सूचित करते हैं कि 6 फरवरी के भूकंप के बाद से तुर्की में लापता हुए भारतीय नागरिक श्री विजय कुमार के शव के कुछ हिस्से मिल गए हैं. तुर्की के मलत्या में एक होटल के मलबे के बीच से उनका शव निकाला गया है. वहां वह एक बिजनेस ट्रिप पर गए हुए थे.'
विजय गौड़ की पत्नी और बेटे इतने दिनों से दुख में थे. वे डरे हुए थे कि कहीं इस भूकंप की तबाही में विजय के साथ कुछ बुरा न हो. लेकिन सर्च ऑपरेशन के पांचवे दिन परिवार को वही खबर मिली जिसे कि वो नहीं सुनना चाह रहे थे. बता दें कि विजय के पार्थिव शरीर को पहले इस्तांबुल और फिर दिल्ली ले जाया जाएगा. भारतीय दूतावास के अधिकारियों के हवाले से पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि उनके पार्थिव शरीर को कोटद्वार पहुंचने में तीन दिन लग सकते हैं. तुर्की में मौजूद भारतीय दूतावास ने ट्विटर पर कहा, उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति हमारी गहरी संवेदना है. हम उनके पार्थिव शरीर को जल्द से जल्द उनके परिवार तक पहुंचाने की व्यवस्था कर रहे हैं.
उनके बड़े भाई अरुण कुमार गौड़ ने कहा, विजय गौड़ ऑक्सी प्लांट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के लिए काम करते थे और एक बिजनेस टूर पर गए हुए थे. अपने भाई के लापता होने के बाद अरुण ने बताया कि इतने दिनों से उनका फोन बज तो रहा है लेकिन कोई जवाब नहीं दे रहा था.
उन्होंने कहा था कि उनकी पत्नी और छह साल के बेटे ने आखिरी बार उनसे 5 फरवरी को फोन पर बात की थी और उन्हें 20 फरवरी को भारत लौटना था. विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा था कि भूकंप के बाद एक भारतीय लापता है और 10 अन्य फंसे हुए हैं लेकिन दूरदराज के इलाकों में सुरक्षित हैं. अधिकारियों के अनुसार, तुर्की में रहने वाले भारतीयों की संख्या लगभग 3,000 थी, जिनमें से लगभग 1,800 इस्तांबुल और उसके आसपास रहते हैं, जबकि 250 अंकारा में और बाकी पूरे देश में फैले हुए हैं. जिस होटल में विजय गौड़ ठहरे हुए थे, वह 6 फरवरी की सुबह ढह गया जब 7.8 तीव्रता का भूकंप तुर्की में आया और मौत और विनाश के निशान छोड़ गया.