रांची: झारखंड में होनेवाला राज्यसभा चुनाव हर बार रहस्य और रोमांच से भरा होता है। चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक जोड़-तोड़ और गुणा-भाग शुरू हो जाता है। राज्यसभा में कौन लड़ेगा, कौन किसका समर्थन करेगा और उम्मीदवार कौन होगा, इसे लेकर हर दिन नई पटकथा लिखी जाती है। इस बार भी यही देखा गया।
राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख अब दो दिन शेष रह गये हैं, लेकिन झारखंड में सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है। हालांकि भाजपा ने अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर सत्तारूढ़ दलों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बना दिया है। भाजपा ने राज्यसभा के लिए झारखंड से किसी बड़े नाम की बजाय संगठन के एक साधारण और जमीनी कार्यकर्ता पर भरोसा जताया है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य साहु को चुनाव मैदान में उतार कर अपने राजनैतिक प्रतिद्वंद्वियों के समक्ष चुनौती पेश कर दी है। भाजपा ने रविवार की देर शाम अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की। स्थानीय कार्यकर्ता को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद आजसू पार्टी और निर्दलीय विधायकों का भी भाजपा को समर्थन मिलना आसान हो गया है। आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने ऐलान भी किया है कि उनकी पार्टी भाजपा को समर्थन देगी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से राज्यसभा के मसले पर विचार विमर्श कर लिया है। दिल्ली में उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा है कि गठबंधन का साझा उम्मीदवार राज्यसभा में चुनाव लड़ेगा, लेकिन उन्होंने नाम की घोषणा अभी नहीं की है। वह दिल्ली से लौट आए हैं। संभावना है कि सोमवार को उम्मीदवार के नाम की घोषणा करें। उम्मीदवार के नामों को लेकर सिर्फ कयासबाजी ही चल रही है। यह रहस्य अभी नहीं खोला है कि चुनाव लड़नेवाले साझा उम्मीदवार झामुमो का होगा या कांग्रेस का। एक दिन पहले तक झामुमो की ओर से कई संभावित उम्मीदवारों के नामों की चर्चा चल रही थी। विधायक बसंत सोरेन की पत्नी हेमलता का नाम सामने आया। इनके पहले झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य सहित कई नेताओं के नाम चर्चा में आए। कांग्रेस की ओर से संभावित नामों में सुबोधकांत सहाय, अजय कुमार, राजेश ठाकुर की चर्चा रही। कांग्रेस से एक बड़ा नाम गुलाम नबी आजाद का भी चर्चा में आया है।
राज्यसभा चुनाव को लेकर अभी तक तो राजनीतिक परिदृश्य के मुताबिक सत्ता पक्ष से एक साझा उम्मीदवार और विपक्ष से एक उम्मीदवार होगा तो 10 जून को मतदान की नौबत नहीं आएगी। दोनों उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो जायेंगे। नाम वापसी के दिन इसकी औपचारिक घोषणा हो जायेगी। चुनाव मैदान में जैसे ही दो से ज्यादा प्रत्याशी होंगे तो मतदान करा कर ही फैसला होता है। दो सीटों के लिए हो रहे चुनाव में एक उम्मीदवार को जीतने के लिए न्यूनतम 26.66 वोटों की आवश्यकता होगी। इस स्थिति में जीतने वाले उम्मीदवारों को इतने वोट लाने होंगे। झारखंड में इसके पहले भी दो-दो बार निर्विरोध निर्वाचित होकर उम्मीदवार राज्यसभा पहुंच चुके हैं। भाजपा से यशवंत सिन्हा, झामुमो से स्टीफन मरांडी, कांग्रेस के माबेल रिबेलो निर्विरोध निर्वाचित हुए थे।