कानपुर: योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान ने कहा है कि वह न तो कोर्ट से भागे हैं और न ही किसी ने उन्हें बुलाया है। मीडिया में चल रही रिपोर्ट्स देखकर और बातें सुनकर वे न्यायालय जा रहे हैं। राकेश सचान ने ये बातें सोमवार को कोर्ट में हाजिर होने से पहले मीडिया से बातचीत में कहीं। बता दें कि दो दिन पहले मंत्री को आर्म्स एक्ट मामले में कोर्ट ने दोषी ठहरा दिया था। आरोप है कि दोष सिद्ध होने के बाद सजा सुनाए जाने से पहले ही मंत्री फाइल लेकर कोर्ट से चले गए।
इस मामले में मंत्री का कहना है कि कोर्ट परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों से इसकी जांच कराई जा सकती है कि वह भागे थे या फिर क्या हुआ था। उन्होंने कहा कि वह न्यायालय का सम्मान करते हैं। भागने का सवाल ही नहीं उठता। न्यायालय जो भी फैसला सुनाएगा उसे मानेंगे।
मामले में अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। पुलिस का कहना है कि इस मामले में ललिता कुमारी बनाम राज्य केस में दी गई गाइडलाइन के मुताबिक काम किया जा रहा है। असंज्ञेय अपराध में जांच करने के बाद ही रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश है। पुलिस अफसरों के मुताबिक राकेश सचान मामले की तहरीर में संज्ञेय अपराध नहीं दिख रहा है। लिहाजा जांच होगी और जांच रिपोर्ट अधिकारी कोर्ट में दाखिल करेंगे। उसके बाद कोर्ट के निर्देश के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
शनिवार को एसीएमएम तृतीय की कोर्ट में आर्म्स एक्ट के मुकदमा संख्या 729/1991 थाना नौबस्ता की सुनवाई हो रही थी। इसमें कैबिनेट मंत्री राकेश सचान आरोपित हैं। कोर्ट की रीडर कामिनी द्वारा पुलिस को दिए गए पत्र के अनुसार पत्रावली आदेश हेतु नियत थी, जिसमें पीठासीन अधिकारी ने अभियुक्त राकेश सचान को दोष सिद्ध करार दिया था। सजा के बिन्दु पर सुना गया। उसके बाद पीठासीन अधिकारी आदेश लिखाने हेतु चेम्बर में चले गए। न्यायालय में और भी वादकारी एवं अन्य व्यक्ति थे। दोष सिद्ध करने के बाद अभियुक्त के अधिवक्ता द्वारा निर्णय देखने हेतु पत्रावली ली गई। इसी बीच अभियुक्त राकेश सचान द्वारा निर्णय पत्रावली से लेकर फरार हो गया। अभियुक्त के साथ सुरक्षा कर्मी अन्य समर्थक व 40-50 लोग मौजूद थे।
संयुक्त आयुक्त ने बताया कि पहले कोर्ट और आसपास से सीसीटीवी फुटेज हासिल करने हैं। इससे पता चलेगा कि घटनाक्रम क्या था और कौन-कौन वहां मौजूद था। पत्र के मुताबिक मंत्री के वकील द्वारा पत्रावली देखने के लिए मांगी गई। उनके वकील कौन था, इसका पता कर उनसे पूछताछ की जाएगी। कोर्ट में रीडर से भी मामले में जानकारी ली जाएगी।