प्रयागराज: सपा नेता आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन और बेटे अब्दुल्ला को दो जन्म प्रमाण पत्र के मामले में बड़ी राहत मिल गई है। हाईकोर्ट ने तीनों की सजा पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही तीनों को जमानत भी दे दी है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने आजम खान, तंजीन और अब्दुल्ला आजम की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर यह फैसला सुनाया है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद 14 मई को फैसला सुरक्षित कर लिया गया था। तीनों फिलहाल अलग अलग जेलों में बंद हैं।
आजम खान, उनकी पत्नी व बेटे को रामपुर की एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने जन्म प्रमाणपत्र मामले में सात-सात साल कैद की सजा सुनाई थी। आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर कर इसे चुनौती दी गई थी। इसमें जमानत के लिए भी अर्जी दी गई थी।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महाधिवक्ता से सवाल किया था कि जब इस मामले में अपराधिक साजिश की धारा 120 बी को जोड़ा गया तो इस धारा के तहत साक्ष्य क्यों नहीं जुटाए गए। मामले में अग्रिम विवेचना आदेश क्यों नहीं दिया गया। कोर्ट ने पूछा कि जन्म प्रमाणपत्र जारी करने वाली संस्था नगर निगम के विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं की गई। क्या जन्म प्रमाणपत्र एक मूल्यवान दस्तावेज़ है। इसके जवाब में कहा गया कि इसी जन्म प्रमाणपत्र के आधार पर कई मूल्यवान दस्तावेज तैयार किए गए। महाधिवक्ता सरकार का पक्ष रखने के लिए अदालत से और समय चाहते थे। मगर कोर्ट इस पर सहमत नहीं हुई। आज़म खां के वकील पहले ही अपनी बहस पूरी कर चुके थे। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया था।
विधानसभा चुनाव 2017 में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार से सपा के टिकट पर उतरे और जीतकर विधायक चुने गए थे। उनके खिलाफ लड़े नवाब काजिम अली खां उर्फ नावेद मियां तथा बाद में भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र पर चुनाव लड़ने की शिकायत की थी। इस पर हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला का चुनाव रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली थी। अब्दुल्ला आजम के शैक्षिक प्रमाण पत्र में उनकी जन्मतिथि एक जनवरी 1993 दर्ज है और नगर निगम लखनऊ से जारी प्रमाणपत्र में 30 सितंबर 1990 दर्ज है। आजम खां सहित तीनों के खिलाफ फर्जी जन्म प्रमाणपत्र तैयार करने के आरोप में केस दर्ज किया गया था।