एनजीटी का बड़ा एक्शन, इन पर लगाया 153 करोड़ का जुर्माना

Update: 2022-07-18 04:27 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान

नई दिल्ली: पर्यावरण और ठोस कचरा प्रबंधन नियमों की अनदेखी पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कड़ा रूख अपनाते हुए हरियाणा के चार बिल्डरों पर 153 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना किया है। इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने इन बिल्डरों के खिलाफ प्रर्वतन निदेशालय को धन शोधन के पहलू से जांच करने के बारे में विचार करने को कहा है। ट्रिब्यूनल ने बिल्डरों पर पर्यावरण मंजूरी समाप्त होने के बाद भी निर्माण कार्य करने और अवासीय परियोजना में ठोस कचरा प्रबंधन नियमों का समुचित तरीके से पालन नहीं करने के लिए यह जुर्माना लगाया है।

एनजीटी प्रमुख जस्टिस ए.के. गोयल, सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल व अन्य की पीठ ने संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद यह आदेश दिया है। पीठ ने बिल्डरों को तीन माह के भीतर जुर्माने (पर्यावरण क्षतिपूर्ति रकम) हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के खाते में जमा कराने का आदेश दिया है। पीठ ने कहा है कि जुर्माने की इस रकम का इस्तेमाल संबंधित इलाके में पर्यावरण सुधार के लिए खर्च किया जाएगा।
एनजीटी ने इसके लिए मामले में गठित सीपीसीबी, एचएसपीसीबी, गुरुग्राम के जिलाधिकारी एवं अन्य की संयुक्त समिति को तीन माह के भीतर योजना तैयार कर और छह माह के भीतर इसे लागू करने का आदेश दिया है। पीठ ने टीडीआई इंफ्रास्ट्रक्चर को हरियाणा के सोनीपत जिले में तीन परियोजनाओं में नियमों की अनदेखी के लिए 95.8 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है। जबकि मेसर्स पार्कर एस्टेट डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड पर 17. 1 करोड़ रुपये, सीएमडी बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड पर 40.48 करोड़ रुपये और नारंग बिल्डर पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
पीठ ने किसान उदय समिति की ओर से अधिवक्ता शिव चरण गर्ग द्वारा दाखिल याचिका पर यह फैसला दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिल्डरों ने न सिर्फ पर्यावरण नियमों की अनदेखी कर परियोजनाओं का निर्माण किया है, बल्कि ठोस कचरा प्रबंधन नियमों का भी पालन नहीं कर रहा है। अधिवक्ता गर्ग ने बताया कि बिल्डरों ने निर्माण के लिए मिली पर्यावरण मंजूरी की अवधि समाप्त होने के बाद भी निर्माण जारी रखा बल्कि बिना सीवर लाइन बिछाए बगैर लोगों को फ्लैटों का पोजेशन दे दिया।
एनजीटी ने इस मामले में बिल्डर के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय को धन शोधन निवारण कानून 2002 के प्रावधानों के तहत इन बिल्डरों के खिलाफ ‌जांच करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए पीठ ने फैसले की कॉपी प्रवर्तन निदेशालय को भेज दी है। इसके अलावा हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण समिति को बिल्डर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने भी निर्देश दिया है।
एनजीटी ने इन बिल्डरों को अपने परियोजनाओं में विकास कार्यों को करने पर रोक लगा दी है। पीठ ने कहा है कि यह रोक तब तक जारी रहेगी जब तक बिल्डर पर्यावरण नियमों से संबंधित सभी मंजूरी और नियमों का पालन सुनिश्चित नहीं कर देता। साथ ही सभी विभागों से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने का आदेश दिया है।
सोनीपत के लोगों की ओर से अधिवक्ता शिव चरण गर्ग ने बताया कि बिल्डरों ने आवासीय परियोजना बनाया, लेकिन सीवेज लाइन डाले बगैर लोगों को मकान का पोजेशन दे दिया। साथ ही कहा कि बिल्डरों ने एक टैंक में सीवेज जमा करता है और टैंक भर जाने के बाद उसे खाली मैदान में ले जाकर खाली कर देता है। इसकी वजह से कई किलोमीटर कर भूजल दूषित हो गया है। गर्ग ने बताया कि इसकी वजह से करीब 15 लाख लोग प्रभावित हुए और लोगों को पानी पीने के लिए आरओ लगवाना पड़ा।

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