महाराष्ट्र के सियासी घमासान की लड़ाई! सामना में लिखी गई यह बात, जानें

Update: 2022-06-28 03:49 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

मुंबई: महाराष्ट्र में जारी सियासी खींचतान के बीच शिवसेना और बागी विधायकों के बीच बयानों के तीर खूब चल रहे हैं. शिवसेना की ओर से एक तरफ जहां पार्टी के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत मोर्चा खोले हुए हैं, वहीं दूसरी ओर पार्टी के मुखपत्र सामना के जरिये भी बागी विधायकों और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर हमले जारी हैं.

शिवसेना ने अब सामना के जरिये बीजेपी पर निशाना साधा है. सामना में छपे एक लेख में बीजेपी की ओर से पिछले कुछ दिनों में आए बयानों को भ्रमित करने वाला बताया गया है. सामना में लिखा है कि एक तरफ चंद्रकांत पाटिल का कहना है कि शिवसेना में जो चल रहा है, उससे हमारा कोई संबंध नहीं है. यह उनका आंतरिक मामला है. उसी दौरान रावसाहेब दानवे अपने शरीर पर हल्दी लगाकर, सिर पर सेहरा बांधकर कहते हैं कि अब ज्यादा से ज्यादा एक-दो दिन ही विपक्ष में बैठेंगे. दो-तीन दिन में बीजेपी की सरकार आ जाएगी. शिवसेना में विद्रोह से कोई लेना-देना नहीं है ऐसा कहना और दूसरी तरफ दो दिन में बीजेपी की सरकार आ जाएगी ये कहा जाना. इसमें सच्चाई क्या है?
शिवसेना के मुखपत्र के लेख में ये भी कहा गया है कि मुंबई में बागियों के मुखपत्र में एक खबर प्रकाशित हुई है. कहा जा रहा है कि अमित शाह ने बागी विधायकों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मधुर संवाद किया. इस संवाद में बागियों की अपात्रता के संदर्भ में चर्चा हुई. बागी विधायकों को कार्रवाई नहीं होने देने का आश्वासन मिला है. अमित शाह से बातचीत के बाद बागी विधायकों में उत्साह का संचार हुआ. उत्साह और बढ़े, इसके लिए गृह मंत्री शाह ने बागी विधायकों को केंद्रीय सुरक्षा प्रदान की. गुवाहाटी के विधायक शाह से बातचीत के बाद इतने खुश हो गए हैं कि उन्होंने असम में अपने ठहरने के निर्णय को और सात दिनों के लिए बढ़ा दिया है.
सामना में लिखा है कि बागी विधायकों को जो करना है उसके लिए उनके व्यवस्थापक हैं. सात-आठ मंत्री हैं, विधायक हैं जो अपना विभाग छोड़कर महाराष्ट्र से बाहर जाकर बैठे हैं. कृषि, उच्च शिक्षा, जलापूर्ति, बागवानी जैसे विभाग लोगों की जरूरतों से जुड़े हैं लेकिन ये मंत्री अपने विभाग लावारिस छोड़कर गुवाहाटी के रेडिसन ब्ल्यू होटल में बैठे हैं. यदि जिम्मेदारी और शर्म होती तो वे मंत्री पद से इस्तीफा देकर राज्य के बाहर गए होते, लेकिन शिवसेना का दिया मंत्री पद बरकरार रखकर वे सिद्धांत की बात कर रहे हैं. महाराष्ट्र, हिंदुत्व के हित के लिए बीजेपी के साथ जाने की बात वे कर रहे हैं लेकिन महाराष्ट्र पर फूटने और टूटने का संकट बीजेपी की वजह से आया है.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिये दिल्ली में बैठे बीजेपी के नेताओं पर महाराष्ट्र को तीन टुकड़ों में बांटने की खतरनाक साजिश रचने का आरोप लगाया है. सामना में कहा गया है कि मुंबई को अलग करना और छत्रपति शिवराय के इस अखंड महाराष्ट्र को तबाह करने के दांव का खुलासा कर्नाटक के बीजेपी नेताओं ने ही किया है. जो बीजेपी लगातार महाराष्ट्र पर हमले कर रही है, उसी के नेताओं से मार्गदर्शन लेकर ये लोग उत्साह की ऊर्जा उत्पन्न कर रहे हैं. महाराष्ट्र सरकार को गिराने का धंधा निश्चित तौर पर कौन कर रहा है? इस साजिश का खुलासा हो जाने के बाद भी ये लोग उनके नाम के जयकारे लगा रहे हैं. उस पर शिवसेना और सरकार के पक्ष में जो खड़े हैं, उन लोगों को ईडी की फांस में फंसाकर आवाज दबाने की कोशिश जारी ही है.
शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे लेख में कहा गया है कि महाराष्ट्र के सियासी पटल पर ये खेल और कब तक चलेगा? छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति सांभाजी महाराज की धर्मनिष्ठा और स्वराज्य प्रेम का उदाहरण हम देते हैं. वह स्वराज्य प्रेम आज कहां चला गया? बागियों पर तंज करते हुए शिवसेना के मुखपत्र ने कहा है कि बात स्वाभिमान और हिंदुत्व की करना और इस तरह का अलग ही धंधा करके महाराष्ट्र के विरोधियों के हाथ मजबूत करना. महाराष्ट्र के टुकड़े करनेवालों के हम टुकड़े कर देंगे, ऐसा कोई शिवसैनिक कह दे तो उनसे हमारी जान को खतरा है कहकर शोर मचाने लग रहे.
सामना में बागी विधायकों पर तंज करते हुए लिखा है कि बेलगांव के मराठियों पर होनेवाले जुल्म पर भी इनके मुंह बंद हो जाएंगे. शिवसेना ने इन तमाम विषयों पर न सिर्फ प्रखर भूमिका अपनाई है बल्कि सड़कों पर संघर्ष भी किया है. बीजेपी से जो लोग गठजोड़ करना चाहते हैं, उन्हें महाराष्ट्र के प्रति अपने स्वाभिमान की एक बार जांच कर लेनी चाहिए. क्या महाराष्ट्र यह पाप स्वीकार करेगा?


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