नॉएडा में फर्जी कंपनियां बनाकर बैंकों में खोले खाते, 8 जालसाज गिरफ्तार

Update: 2023-05-16 15:02 GMT

नोएडा: जालसाजों के लिए सोने की खान बन चुके नोएडा में पुलिस ने एक ऐसे बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो बैंकों में फर्जी खाता खोलकर धोखाधड़ी कर लोन लेते थे। इस गिरोह ने बैंकों को लगभग 23 करोड़ रुपये से अधिक की चपत लगाई है। जालसाजों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कई प्रा.लि. कंपनियां भी बनाई थीं। थाना फेस-1 पुलिस ने इस गिरोह के 8 सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बना रखी थीं कई कंपनियां

नोएडा जोन के डीसीपी हरिश्चंद्र ने बताया कि गत दिनों क्रेडिट इंटेलिजेंस एवं कंट्रोल एचडीएफसी बैंक लिमिटेड के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत खुराना ने थाना फेस-1 में मुकदमा दर्ज कराया था कि कुछ लोग फर्जी दस्तावेज बनाकर तथा फर्जी रूप से अलग-अलग व्यक्तियों की आईडी एवं प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाकर धोखाधड़ी कर बैंक को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं। मुकदमा दर्ज होने के बाद एसटीएफ नोएडा के अपर पुलिस अधीक्षक राजकुमार व अपर पुलिस उपायुक्त शक्ति मोहन अवस्थी के निर्देशन में थाना फेस-1 प्रभारी ध्रुव भूषण दुबे व एसटीएफ टीम के प्रभारी निरीक्षक सचिन कुमार की टीम ने जेवर टोल प्लाजा के पास से अनुराग चटकारा उर्फ अनुराग अरोड़ा पुत्र कृष्ण कुमार, अमन शर्मा पुत्र रघुनाथ शर्मा, दानिश छिब्बर पुत्र सुरेंद्र कुमार छिब्बर, वसीम अहमद पुत्र शरीफ हुसैन, मोहसिन पुत्र नसीम, जीतू उर्फ जितेंद्र पुत्र रामप्यारे, रविकांत मिश्रा पुत्र चतुर्भुज मिश्रा, तनुज शर्मा पुत्र स्वर्गीय अशोक शर्मा को गिरफ्तार किया गया। इनकी निशानदेही पर सेक्टर-119 स्थित द अरानियां सोसाइटी के एक फ्लैट से चैक बुक, डेबिट कार्ड, पैन कार्ड, आधार कार्ड, जीएचसीएल कंपनी के आई कार्ड, मोबाइल फोन, एक नोट गिनने की मशीन, आई कार्ड बनाने की मशीन, कंपनियों की मोहरें, लेपटॉप नगदी, पेनड्राइव, 3 कार व दो बाइक बरामद हुई हैं।

फर्जी दस्तावेजों से खुलवाते थे खाते

डीसीपी ने बताया कि आरोपी फर्जी नामों से आधार कार्ड व पैन कार्ड बनाकर आरओसी में कंपनी रजिस्टर करा लेते थे। इसके बाद यह अलग-अलग बैंकों में फर्जी दस्तावेजों से खाता खुलवाते थे। खातों में फर्जी कंपनी के खाते से सैलरी के रूप में पैसों को ट्रांसफर करते थे। कुछ समय बाद उस पैसे को एटीएम से निकाल कर आरोपी उसे दोबारा उसी कंपनी के खाते में जमा कर देते थे। इस प्रकार 6-7 महीने बैंक में ट्रांजक्शन होने पर खातेदार लोन के लिए उपयुक्त हो जाता था। इसके बाद आरोपी ऑनलाइन लोन अप्लाई करके तथा अन्य फाइनेंस कंपनियों से कार मोबाइल व अन्य सामान फाइनेंस करा लेते थे। लोन के रुपयों को आरोपी एटीएम के माध्यम से निकाल लेते थे।

दस्तावेज फर्जी होने के कारण पकड़ना मुश्किल था

उन्होंने बताया कि आरोपी अब तक एचडीएफसी सहित अन्य बैंकों से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करीब 23 करोड़ रुपये का लोन ले चुके हैं। बैंकों में लोन के लिए लगाए गए सभी दस्तावेज फर्जी होते थे। इसलिए आरोपी बैंक की पकड़ में नहीं आते थे। पकड़े गए आरोपियों ने अपने इस कारनामे को अंजाम देने के लिए सेक्टर-119 में फ्लैट लिया हुआ था, जहां पर यह फर्जी दस्तावेजों को तैयार करने का काम करते थे।

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