शेख हसीना सरकार के ‘चुनावी बजट’ से बांग्लादेश के अर्थशास्त्री परेशान

कही यह बात

Update: 2023-06-04 17:24 GMT

जनता से रिश्ता वेब्डेस्क | बांग्लादेश में पेश ‘चुनावी बजट’ ने अर्थशास्त्रियों की चिंता बढ़ा दी है। अगले साल के आरंभ में बांग्लादेश में आम चुनाव होना है। उसके पहले के इस आखिरी बजट के जरिए प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद की सरकार ने तोहफों की बरसात कर दी है। ऐसा उस समय किया गया है, जब देश ऊंची महंगाई और गहरे वित्तीय संकट में है। इसे देखते हुए कई विशेषज्ञों ने कहा है कि सरकार ने इतने ऊंचे वादे कर दिए हैं, जिन्हें पूरा करना उसके लिए संभव नहीं होगा।

बांग्लादेश सरकार पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 4.7 बिलियन डॉलर का कर्ज ले चुकी है। विदेशी मुद्रा के गहराते संकट के कारण पिछले साल उसे आईएमएफ के दरवाजे पर जाना पड़ा था। तब सरकार को वित्तीय क्षेत्र में सुधार की आईएमएफ की कई शर्तों को स्वीकार करना पड़ा था। इनमें जीडीपी की तुलना में टैक्स के अनुपात को बढ़ा कर 7.5 प्रतिशत तक लाना शामिल था, ताकि राजकोषीय सेहत अच्छी हो सके।

आईएमएफ की शर्तों को देखते हुए ताजा बजट में नेशनल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (एनबीआर) को अगले वित्त वर्ष में 41 बिलियन डॉलर का टैक्स वसूलने का लक्ष्य दिया गया है। यह चालू वित्त वर्ष की तुलना में 16 प्रतिशत ज्यादा है। लेकिन अर्थशास्त्रियों का कहना है कि पिछले लगातार 11 वित्त वर्षों के दौरान एनबीआर तय लक्ष्य के मुताबिक टैक्स वसूलने में नाकाम रहा है। इसलिए अगले वित्त वर्ष में भी वह ऐसा कर पाएगा, इस संभावना नहीं है।

ढाका यूनिवर्सिटी में डेवलपमेंट स्टडीज के प्रोफेसर रशीद अल महमूद तैमूर ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा- ‘देश में प्रत्यक्ष करदाता आबादी का सिर्फ दो फीसदी हिस्सा हैं। ये लोग सरकार के बढ़े बजट का बोझ कैसे उठाएंगे?’ तैमूर ने ध्यान दिलाया कि देश में हर महीने बढ़ रही महंगाई की तुलना मे वेतन वृद्धि की दर कम रही है। उन्होंने बताया- ‘अप्रैल में वेतन वृद्धि दर 7.23 प्रतिशत रही, जबकि मुद्रास्फीति दर 9.24 प्रतिशत रही। इसलिए जब तक महंगाई काबू में नहीं आती, राजस्व जुटाने के लक्ष्य को हासिल करना संभव नहीं होगा।’

विश्व बैंक के बांग्लादेश स्थित कार्यालय में पूर्व प्रमुख अर्थशास्त्री जाहिद हुसैन ने बजट को महंगाई बढ़ाने वाला बताया है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि यह 23 बिलियन डॉलर घाटे का बजट है। उन्होंने चेतावनी दी कि देश का राजकोषीय घाटा बढ़ेगा, जिसका असर विदेशी मुद्रा भंडार पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जब पहले से ही विदेशी मुद्रा का संकट है, तब बांग्लादेश इस राह पर चलने का जोखिम नहीं उठा सकता।

अर्थशास्त्रियों की परेशानी का पहलू यह भी है कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने इसी हफ्ते बांग्लादेश की क्रेडिट रेटिंग को घटा कर उसे ‘रिस्की’ (जोखिम भरी) श्रेणी में डाल दिया। लेकिन सरकार ने बजट पेश करते वक्त इस चेतावनी की पूरी तरह अनदेखी कर दी है।

अर्थशास्त्रियों की परेशानी का पहलू यह भी है कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने इसी हफ्ते बांग्लादेश की क्रेडिट रेटिंग को घटा कर उसे ‘रिस्की’ (जोखिम भरी) श्रेणी में डाल दिया। लेकिन सरकार ने बजट पेश करते वक्त इस चेतावनी की पूरी तरह अनदेखी कर दी है।

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