परख में कोरोना संक्रमण रोकने में सफल रही आयुर्वेदिक हर्बल धूप, जानें किन जड़ी बूटियों को मिलाकर बनाई गई

कोरोना काल में आयुर्वेदिक औषधियों को अत्याधुनिक वैज्ञानिक मापदंडों पर परखने के बेहतर नतीजे सामने आने लगे हैं।

Update: 2022-01-28 17:57 GMT

नई दिल्ली। कोरोना काल में आयुर्वेदिक औषधियों को अत्याधुनिक वैज्ञानिक मापदंडों पर परखने के बेहतर नतीजे सामने आने लगे हैं। इस दिशा में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में किए गए क्लीनिकल ट्रायल में एक हर्बल धूप को घर में जलाने से संक्रमण रोकने में सफलता मिली है। यह घर में किसी व्यक्ति के संक्रमित होने की स्थिति में अन्य सदस्यों को संक्रमण से बचाने में सक्षम है।

ट्रायल के दौरान यह भी देखा गया कि धूप के प्रयोग के बाद यदि कोई संक्रमित हो भी जाता है तो उसमें संक्रमण, फेफड़ों तक नहीं पहुंचता है। इस हर्बल धूप को एयरवैद्य धूप नाम दिया गया है।
आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आयुर्वेद में धूपम चिकित्सा पद्धति काफी पुरानी है। कोरोना को लेकर पहली बार यह साइंटिफिक स्टडी की गई है। इसके तहत आइसीएमआर की क्लीनिकल ट्रायल का पंजीकरण कराने के बाद 19 जड़ी-बूटियों से निर्मित एयरवैद्य हर्बल धूप (एवीएचडी) पर स्टडी शुरू की गई।
स्टडी के पहले बीएचयू की एथिक्स कमेटी की भी अनुमति ली गई। इस हर्बल धूप में राल, नीम, वासा, अजवाइन, हल्दी, लेमनग्रास, वच, तुलसी, पीली सरसों, चंदन, उसीर, शुद्ध गुग्गल, नागरमोथा, मेंहदी, नागर, लोबन धूप, कपूर और जिगट शामिल किया गया है। इसके दो चरणों का क्लीनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि क्लीनिकल ट्रायल के लिए कंट्रोल ग्रुप और इंटरवेंशन ग्रुप के नाम से दो अलग-अलग ग्रुप बनाए गए थे। कंट्रोल ग्रुप में सौ और इंटरवेंशन ग्रुप में 150 लोगों को रखा गया। इंटरवेंशन ग्रुप को हर्बल धूप के धुएं का दस-दस मिनट का सेवन सुबह-शाम कराया गया। जबकि कंट्रोल ग्रुप को इसे नहीं दिया गया।
दोनों समूहों को सामान्य कोरोना प्रोटोकाल का पालन करने को कहा गया। एक महीने बाद इंटरवेंशन ग्रुप में सिर्फ छह लोगों यानी चार प्रतिशत में कोरोना संक्रमण जैसे लक्षण पाए गए, जबकि कंट्रोल ग्रुप में 37 लोगों यानी 37 फीसदी लोगों में बुखार, खांसी, सर्दी, स्वाद नहीं आना, गंध महसूस नहीं होने जैसे कोरोना के लक्षण देखने को मिले।
उन्होंने कहा कि हर्बल धूप से शरीर पर होने वाले नुकसान की जांच के लिए ड्रोसेफिला मक्खियों पर इसका प्रयोग किया गया, जिसमें इसे पूर्ण रूप से दुष्प्रभाव रहित पाया गया। उन्होंने कहा कि कोरोना के अलावा इस धूप का इस्तेमाल वायरस से फैलने वाले अन्य संक्रमण से बचाव में किया जा सकता है। अत्याधुनिक वैज्ञानिक मानकों पर हुई इस स्टडी को जल्द ही साइंटिफिक जनरल में प्रकाशित किया जाएगा।
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