जोधपुर. गुरुकुल की नाबालिक छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में जीवन की आखिरी सांस तक जेल की सजा काट रहे आसाराम (Asaram) को रातानाडा थाना पुलिस ने गुरुवार को जोधपुर सेंट्रल जेल (Jodhpur Central Jail) से प्रोडक्शन वारंट पर लेकर CJM कोर्ट में पेश किया. जहां मामले की सुनवाई के बाद उसे वापस जेल भेज दिया गया. थानाधिकारी लीलाराम ने बताया कि साल 2016 में आसाराम ने सुप्रीम कोर्ट में मेडिकल ग्राउंड पर एक जमानत याचिका पेश की थी, जिसमें मेडिकल के फर्जी दस्तावेज पेश किए गए थे. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट में यह बात सामने आई कि आसाराम ने फर्जी मेडिकल दस्तावेज पेश किए हैं. कोर्ट ने आसाराम के खिलाफ एक नया मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे.
जोधपुर पुलिस (Jodhpur Police) ने आसाराम को जेल से प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार कर आज सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया. बता दें कि अपने ही गुरुकुल की नाबालिग छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में जीवन की आखिरी सांस तक जेल की सजा काट रहा और जोधपुर की सेंट्रल जेल में बंद है.
जानकारी के अनुसार, साल 2016 में पेश आसाराम की अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में खारिज कर दिया था. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी कागजात दिखाने के लिए उन पर एक नई FIRदर्ज करने और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने के लिए भी आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आसाराम ने जमानत लेने के लिए जो मेडिकल सर्टिफिकेट दिखाए, वह फर्जी थे. आसाराम पर यह फैसला चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिया था.
अपनी याचिका में आसाराम ने अपने आपको अस्वस्थ बताते हुए जमानत मांगी थी और केरल जाकर आयुर्वेदिक इलाज करवाने की छूट मांगी थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने AIIMS को एक मेडिकल बोर्ड बनाने का आदेश दिया था, जिसका काम आसाराम की सेहत की जानकारी कोर्ट को देना था. आसाराम की जांच करने वाली मेडिकल टीम ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि आसाराम की हालत स्थिर है. राजस्थान सरकार ने इस मामले में जवाब पेश करते हुए बताया था कि आसाराम का जोधपुर के अस्पताल में उपचार हो रहा है. वहां उनके इलाज की सारी सुविधायें है.
गौरतलब है कि आसाराम को 2013 में जोधपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था. वह तब से ही जेल में हैं. 74 साल के आसाराम ने निचली अदालत से लेकर शीर्ष अदालत तक कई बार जमानत की याचिका दी थी. उन पर 16 साल की बच्ची का शारीरिक शोषण करने का आरोप था. जिसकी सुनवाई करते हुए एसटी-एससी कोर्ट के तत्कालीन पीठासीन अधिकारी मधुसूदन शर्मा की कोर्ट ने आसाराम को जीवन की आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई थी.