असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा- कायरता, हिंसा और क़त्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोच का अटूट हिस्सा

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को एक के बाद तीन ट्वीट किए. अपने पहले ट्वीट में ओवैसी ने कहा कि आरएसएस के भागवत ने कहा कि लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी

Update: 2021-07-05 03:37 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को एक के बाद तीन ट्वीट किए. अपने पहले ट्वीट में ओवैसी ने कहा कि आरएसएस के भागवत ने कहा कि लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी. इन अपराधियों को गाय और भैंस में फ़र्क़ नहीं पता होगा, लेकिन क़त्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक़, पहलू, रकबर, अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे. ये नफ़रत हिंदुत्व की देन है, इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है.

वहीं दूसरे ट्वीट में कहा कि केंद्रीय मंत्री के हाथों अलीमुद्दीन के कातिलों की गुलपोशी हो जाती है, अखलाक़ के हत्यारे की लाश पर तिरंगा लगाया जाता है, आसिफ़ को मारने वालों के समर्थन में महापंचायत बुलाई जाती है, जहां बीजेपी का प्रवक्ता पूछता है कि क्या हम मर्डर भी नहीं कर सकते? वहीं तीसरे ट्वीट में कहा कि कायरता, हिंसा और क़त्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोंच का अटूट हिस्सा है. मुसलमानो की लिंचिंग भी इसी सोच का नतीजा है.
सभी भारतीयों का डीएनए एक है- मोहन भागवत
इससे पहले रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है फिर चाहे वो किसी भी धर्म के हों. साथ ही साथ हिंदू-मुस्लिम एकता भ्रामक है, क्योंकि वो अलग-अलग नहीं, बल्कि एक हैं. पूजा करने के तरीके के आधार पर लोगों में भेद नहीं किया जा सकता. अगर ये मानने लग जाएं कि ये जुड़े हुए नहीं हैं तो ये दोनों ही संकट मे पड़ जाते हैं.
राजनीति से दूर रहता है संघ
साथ ही कहा कि संघ राजनीति से दूर रहता है. मोहन भागवत ने कहा कि लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व के खिलाफ हैं. मैंने दिल्ली के भाषण मे भी कहा था अगर हिंदू कहता है कि यहां एक भी मुसलमान नहीं रहना चाहिए तो वो हिंदू हिंदू नहीं रहेगा और ये मैंने पहली बार नहीं कहा है, ये चलते आया है. आज मुझे संघ के शीर्ष पर रखा गया है तो मैं बोलता हूं पर ये शुरू से कहा गया है तब संघ छोटा था तो उसकी बात सुनी नहीं गई. हम सबके पूर्वज एक समान हैं. स्वार्थ अलग अलग होंगे पर समाज एक है.


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