PM आवास योजना की पहली किस्त मिलते ही प्रेमी संग रफूचक्कर हुईं कई पत्नियां

कई मर्दों का उजड़ा घर.

Update: 2024-07-09 02:39 GMT

सांकेतिक तस्वीर

महाराजगंज: यूपी के महराजगंज के निचलौल में पीएम आवास योजना को लेकर गजब खेल हो गया है। यहां अलग-अलग गांवों से आवास के 11 लाभार्थी पहली किस्त की रकम निकालकर कहीं भाग गए हैं। इन लाभार्थियों में दो पुरूष और नौ महिलाएं हैं। सबकी अलग अलग कहानी है। कोई प्रेमी संग फरार है तो कोई देश की सीमा पार नेपाल जाकर वहीं रहने लगी है। सचिव फोन कर-करके परेशान हैं। बीडीओ से भी अधिकारियों को जवाब देते नहीं बन रहा है। इस बीच विभाग ने रुपयों की रिकवरी के लिए कार्यवाही शुरू कर दी है। डीएम अनुनय झा के आदेश पर रविवार को डीआरडीए के पीडी रामदरश चौधरी निचलौल ब्लॉक पर पहुंचे थे। उन्‍होंने संबंधित सेक्रेटरियों और बीडीओ शमां सिंह के साथ बैठक कर ऐसे सभी लाभार्थियों के खिलाफ संबंधित थानों पर तहरीर देकर केस दर्ज कराने का निर्देश दिया। बैठक के दौरान ही पता चला कि 11 लाभार्थियों में से सोहगीबरवा की एक महिला लाभार्थी को उसका पूर्व पति ने खोजकर अपने घर लाया है और आवास बनवाने की तैयारी कर रहा है।
मेघौली खुर्द की रहने वाली एक लाभार्थी को वर्ष 2023-24 में आवास मिला था। इसकी पहली किस्त भी उसके बैंक खाता में भेजी गई थी, वह रकम निकालने के बाद अपने परिवार सहित गांव से पलायन कर किसी अज्ञात जगह पर चली गई है। इसी साल किशुनपुर गांव की रहने वाली महिला लाभार्थी को भी घर बनाने के लिए पहली किस्त के 40 हजार रुपए मिले थे। पता चल रहा है कि रुपए मिलने के बाद वह अपने पति का घर छोड़कर मायके चली गई। एक साल से वहीं रह रही है। इधर, पंचायत सचिव उसे फोन कर-करके परेशान हैं। वह हर बार पति के साथ नहीं रहने की बात करके फोन काट देती है। उसका पति भी कहीं बाहर रहकर नौकरी करता है।
बजही गांव की रहने वाली एक महिला लाभार्थी का चयन साल 2018-19 में हुआ था। उसके बैंक खाता में पहली किस्त के 40 हजार रुपए भेजे गए थे। इसके बाद कायदे से उसे अपने घर की नींव का काम कराना चाहिए लेकिन इसकी बजाए वह उसी समय से परिवार सहित नेपाल में रहने लगी। साल 2018-19 में ही शीतलापुर गांव की एक महिला लाभार्थी के नाम से आवास का चयन हुआ था। पहली किस्त की रकम 40 हजार रुपए उसके बैंक खाते में आ गई। उसके बाद वह तीन साल से परिवार सहित घर छोड़कर कहीं और चली गई है। महिला पूरे परिवार के साथ शीतलापुर छोड़ चुकी है।
सोहगीबरवा गांव की एक महिला लाभार्थी को 2022-23 में आवास आवंटित हुआ था। बताया जा रहा है कि आवास की पहली किस्त बैंक खाता में आने के बाद ही वह गायब हो गई। उसका पूर्व पति उसे खोजकर अपने घर लाया है। अब वह आवास बनवाने की बात कह रही है। ग्राम खेसरहा शीतलापुर की महिला लाभार्थी को साल 22-23 में आवास आवंटित हुआ था। उसके खाते में पहली किस्त की रकम 40 हजार रुपए आई थी। वह अपने परिवार और बच्चों को छोड़कर किसी अज्ञात शख्‍स के साथ कहीं चली गई है।
पिपराकाजी गांव की रहने एक अन्‍य महिला के नाम से इसी साल आवास आवंटित हुआ था। उसके खाते में रकम आने के बाद वह अपने पति के साथ महराजगंज रहती है। सचिव ने जब उससे फोन पर बात की तो उसने बताया कि दो दिन में उसका काम शुरू हो जाएगा। चटिया गांव की रहने वाली एक विधवा को साल 2022-23 में आवास आवंटित हुआ था। आवास की पहली किस्त उसके बैंक खाते में आई। यह रकम निकालने के बाद से ही घर से फरार है। इसी गांव की एक दूसरी महिला के नाम वित्तीय वर्ष 2023-24 में आवास आवंटित हुआ था। आवास की पहली किस्त 40 हजार रुपए उसके बैंक खाता में आई। वह भी रकम निकालकर अपने पति के साथ गुजरात चली गई।
इन महिलाओं की तरह ही बहुआर खुर्द गांव के एक लाभार्थी के नाम से साल 2016-17 में आवास आवंटित हुआ था। उसके बैंक खाते में पहली किस्त आई और लाभार्थी पहले तो आवास की नींव डलवाने में हीलाहवाली कर रहा था। उसके बाद दो वर्ष पहले वह अपना गांव छोड़कर अनजान स्थान पर चला गया। बढ़या मुस्तकिल गांव के रहने वाले एक अन्‍य लाभार्थी के नाम से साल 2022-23 में आवास स्वीकृत हुआ था। पहली किस्त के रूप में उसके बैंक खाते में 40 हजार रुपए भेजे गए थे। वह भी आवास बनवाने की बजाए अपना घर छोड़कर महराजगंज में दैनिक मजदूरी करता है।
मामला मीडिया में आने के बाद ब्लॉक से लेकर जिले तक अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। परियोजना निदेशक(पीडी) रामदरश चौधरी ने बताया कि 11 लाभार्थी आवास की पहली किस्त मिलने के बाद घर से गायब हैं। इनमें से एक महिला लाभार्थी जो कि सोहगीबरवा की निवासी है। वह अपने पूर्व पति के खोजने पर घर आ गई है। वह अपना आवास बनवाने की तैयारी कर रही है। शेष 10 लाभार्थियों के खिलाफ संबंधित थाना में तहरीर देकर लाभार्थी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। धन की रिकवरी भी कराई जाएगी। जिन सेक्रेटरी द्वारा लापरवाही की गई है। उनकी जांच कराई जाएगी। जांच में दोषी मिलने पर कार्रवाई तय है।
यह मामला जब से सामने आया है तब से विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के हाथ पांव फूलने लगे हैं। इनमें से एक आवास सात साल और दो आवास छह साल पहले स्वीकृत हुए थे। इतने लंबे अंतराल तक सरकारी रकम की निकासी के बाद भी आवास का निर्माण नहीं शुरू होने में सेक्रेटरी की भी लापरवाही उजागर हुई है। सेक्रेटरी द्वारा लाभार्थी पर दबाव बनाकर आवास निर्माण नहीं कराया जाना भी सवालों के घेरे में है। जब यह मामला सामने आया तब अधिकारी लाभार्थी के खिलाफ तहरीर देकर केस दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं।
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