दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की चौथी गारंटी के साथ ही भाजपा, कांग्रेस व अन्य दलों की चुनौतियां बढ़ गई हैं। आप को लगता है कि काशीपुर में महिलाओं को दी गई चौथी गारंटी उसे घर-घर तक पहुंचाने में मददगार साबित होगी। दरअसल, आगामी विधानसभा चुनाव में ताल ठोक रही आप को बूस्टर देने के लिए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल लगातार उत्तराखंड के दौरे कर रहे हैं। प्रदेश की सियासत में कहीं न कहीं वह दिल्ली जैसी चुनावी फिजा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। जिस तरह से दिल्ली में केजरीवाल ने महिलाओं को बसों में मुफ्त सफर सहित तमाम सुविधाएं दी हैं, उसी दांव को अब उन्होंने उत्तराखंड के चुनावी दंगल में खेला है।
हर घर में 18 साल से अधिक आयु की महिलाओं को प्रतिमाह एक हजार रुपये की घोषणा ने इसलिए भी दूसरे दलों की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि प्रदेश में करीब 37 लाख 58 हजार महिला मतदाता हैं। पिछले चुनावों का रिकॉर्ड देखें तो महिलाओं का मत प्रतिशत भी पुरुषों के मुकाबले अधिक रहा है। अब दूसरे दल इस गारंटी से कैसे पार पाएंगे, यह आने वाला समय बताएगा। आपको बता दें कि अभी तक केजरीवाल ने चार बार उत्तराखंड का दौरा कर मुफ्त बिजली, रोजगार और मुफ्त तीर्थ यात्रा की गारंटी दी है। आप का दावा है कि मुफ्त बिजली गारंटी से अभी तक प्रदेश के 14 लाख से अधिक परिवार जुड़ चुके हैं।
प्रदेश में पिछले दस साल से नए जिलों के गठन को लेकर भाजपा-कांग्रेस घोषणाएं करती आई है। सबसे पहले स्वतंत्रता दिवस पर 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने चार नए जिलों के गठन की घोषणा की। तब यमुनोत्री, कोटद्वार, रानीखेत व डीडीहाट को नए जिले बनाने की घोषणा की गई, लेकिन फिर निशंक मुख्यमंत्री पद से हट गए और भुवन चंद्र खंडूड़ी दोबारा मुख्यमंत्री बने। नए जिलों के गठन का शासनादेश भी हुआ लेकिन 2012 में कांग्रेस के सत्ता में आने पर मसला लटक गया। कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के करीब दो साल के कार्यकाल में कोई प्रगति नहीं हुई। इसके बाद आए हरीश रावत ने चुनाव से ठीक पहले नए जिलों के गठन का इरादा जाहिर किया।
चार से आगे बढ़कर उन्होंने एक साथ नौ जिले बनाने की बात कही, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हालांकि नए जिलों के गठन को लेकर राज्य सरकार ने एक आयोग बना दिया। अब केजरीवाल ने सरकार बनने पर छह नए जिलों के गठन का ऐलान किया है, जिससे भाजपा, कांग्रेस व अन्य दलों के सामने एक और दबाव बढ़ गया है। माना जा रहा है कि एक गारंटी और एक घोषणा से केजरीवाल आप की चुनावी बिसात को उत्तराखंड में और पुख्ता कर गए।