नेशनल वाटर अवार्ड की घोषणा, इस राज्य का बजा डंका

अपना परचम लहराया है.

Update: 2022-01-08 03:36 GMT

नई दिल्ली: जलशक्ति मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को तीसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार- 2020 में उत्तर प्रदेश ने अपना परचम लहराया है. राज्य ने सबसे ज्यादा अवॉर्ड अपने नाम किए हैं. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शुक्रवार को पुरस्कारों की घोषणा की है. 'सर्वश्रेष्ठ राज्य श्रेणी' में उत्तर प्रदेश को पहला स्थान मिला है. उसके बाद दूसरे स्थान पर राजस्थान और तीसरे पर तमिलनाडु ने कब्जा जमाया है.

मंत्रालय अलग-अलग वर्गों आदि में 57 पुरस्कार देता है. वर्ष 2020 के लिए पुरस्कारों का एलान करते हुए जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, देश को कृषि, सिंचाई, औद्योगिक और घरेलू जरूरतों के लिए 1000 अरब क्यूबिक मीटर पानी की सालाना जरूरत है, लेकिन उपलब्धता कम हो रही है. ऐसे में हमें प्रभावी कदम उठाने होंगे.
मुजफ्फरनगर उत्तरी जोन में सर्वश्रेष्ठ
मुजफ्फरनगर उत्तरी जोन में सर्वश्रेष्ठ जिला रहा. दूसरे स्थान पर पंजाब का शहीद भगत सिंह नगर है. दक्षिण जोन में केरल का तिरुवनंतपुरम सर्वश्रेष्ठ, जबकि दूसरे पायदान पर आंध्र प्रदेश का कडप्पा है. पूर्वी जोन में बिहार का पूर्वी चंपारण पहले और झारखंड का गोड्डा दूसरे स्थान पर रहे. पश्चिम जोन में मध्य प्रदेश का इंदौर पहले पायदान पर है. इस जोन में गुजरात का वडोदरा और राजस्थान का बांसवाड़ा संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर है. उत्तर-पूर्व जोन में असम का गोलपारा और अरुणाचल प्रदेश के सियांग को सबसे अधिक जल संरक्षण प्रयासों के पहचान मिली.
पश्चिम बंगाल ने भी विभिन्न श्रेणियों में सर्वोच्चता साबित की
इसी क्रम में पश्चिम बंगाल ने भी विभिन्न श्रेणियों में सर्वोच्चता साबित की है. दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पुरस्कारों का एलान किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि देश अपनी कृषि, उद्योग और घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार पानी का दोहन कर रहा है. इससे पानी का उपयोग बढ़ रहा है लेकिन उसकी उपलब्धता घट रही है. उन्होंने कहा, वर्षा के पैटर्न बदल रहे हैं. 2050 तक पानी की मांग 1,000 बिलियन क्यूबिक मीटर से बढ़कर 1,400 से 1,500 मिलियन क्यूबिक मीटर हो जाएगी. इसके लिए जरूरी है कि सभी मिलकर प्रयास करें. उन्होंने कहा यह पुरस्कार श्रेष्ठ को सर्वोच्चता के लिए प्रेरित करेंगे.
गांवों की श्रेणी में उत्तराखंड का गांव पहले स्थान पर
सर्वश्रेष्ठ गांवों की श्रेणी में उत्तर में उत्तराखंड के धंस पल को पहला स्थान. पूर्व में बिहार के तिलारी और पश्चिम में गुजरात के तख्तगढ़ और पूर्वोत्तर में मिजोरम के सिलचर सरचिप को पहला स्थान मिला है. जबकि गांवों की श्रेणी में वाराणसी के बलुआ गांव को तीसरे स्थान के लिए चुना गया है.स्कूलों सूची में एमिटी स्कूल नोएडा ने संयुक्त रूप से तीसरा स्थान प्राप्त किया है, जबकि धर्मपाल सत्यपाल लिमिटेड नोएडा को सामाजिक कार्यों की श्रेणी में संयुक्त विजेता घोषित किया गया.
2018 में हुई थी पुरस्कार की शुरुआत
इसके अलावा जल के मुफीद इस्तेमाल के तीनों श्रेणियों के पुरस्कार पश्चिम बंगाल को मिले हैं. राज्य की आईटीसी लिमिटेड ने इस श्रेणी का पहला पुरस्कार प्राप्त किया है. इतना ही नहीं औद्योगिक घरानों द्वारा जल संरक्षण के लिए किए जा रहे कामों में भी पश्चिम बंगाल आईटीसी लिमिटेड कोलकाता ने बाजी मारी है.माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को जल संरक्षण और जल के किफायती उपयोग के लिए लगातार दूसरे साल पुरस्कृत किया गया है.2018 में इन पुरस्कारों की शुरुआत की गई थी.
क्या था पुरस्कार देने का मुख्य मकसद
राष्ट्रीय पुरस्कारों का लक्ष्य देश में जल संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे संगठनों और देश के सर्वोत्तम जल संसाधन प्रबंधन की प्रथाओं और जल संरक्षण के नीति नियामक और इससे जुड़े संगठनों को बेहतर अवसर प्रदान करना और उनके काम को पहचान देना है.इसमें जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्तियों और संगठनों को प्रोत्साहित किया जाता है. इन पुरस्कारों को मान्यता देने के लिए जल संसाधन नदी विकास, गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, राज्य संगठन और व्यक्तिगत संस्थाओं को मिलाकर 11 विभिन्न श्रेणियों में हर वर्ष 57 पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं.
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