देवदूत बने डॉक्टर: कठिन सर्जरी से 19 साल की किशोरी को दिलाई मिर्गी से निजात
दुनिया भर में मिर्गी के जितने मरीज हैं उनमें से करीब 16 फीसदी मरीज अकेले भारत में हैं। दुनिया भर में मिर्गी के मरीजों की संख्या लगभग 7 करोड़ हैं और उनमें से तकरीबन सवा करोड़ अकेले भारत में हैं। वर्ल्ड एपिलेप्सी-डे के ठीक पहले मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ के डॉक्टर एक 19 वर्षीया किशोरी के लिए देवदूत बनकर सामने आए हैं। डॉक्टरों की टीम ने कठिन सर्जरी से किशोरी को मिर्गी के दौरों से निजात दिला दी। मेदांता में इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूरो साइंसेज में एसोसिएट डायरेक्टर न्यूरो सर्जरी, डॉ रवि शंकर ने बताया कि, "मरीज़ बचपन से ही मिर्गी से पीड़ित थी। अक्सर पड़ने वाले मिर्गी के दौरों का प्रभाव उसके शरीर और मन, मस्तिष्क पर बहुत नकरात्मक पड़ा था। उसे दवाइयों के सहारे अपना जीवन व्यतीत करना पड़ रहा था। वह बार-बार बेहोश होने और गिरने की परेशानी से जूझ रही थी। इसके चलते किसी न किसी परिजन को उसकी निगरानी करनी पड़ती थी। यह मरीज और परिवार दोनों के लिए बहुत कष्टकारी दौर रहा।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मिर्गी के मरीज के परिजन अज्ञानता की वजह से मिर्गी से जुड़ी भ्रांतियों पर आँख मूँद कर विश्वास कर लेते हैं और सही इलाज न करा कई बार बाबाओं और तांत्रिकों के चक्कर में फंस जाते हैं। ऐसे में मरीज न केवल शारीरिक और मानसिक यंत्रणा से गुजरता है बल्कि कई बार वह समाज से पूर्णतया अलग-थलग पड़ जाता है।
डॉ रवि शंकर ने बताया कि पुरे देश में कुछ ही चिकित्सा संस्थानो में ये सुविधा उपलब्ध हैं। इनमे से एक मेदांता लखनऊ है। मेदांता ग्रुप के सीएमडी डॉ नरेश त्रेहन, मेदांता लखनऊ के डायरेक्टर डॉ राकेश कपूर का उन पर उनकी टीम पर भरोसा जताने, निरंतर उत्साहवर्धन और प्रेरणा स्रोत बने रहने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस सफल सर्जरी के लिए न्यूरोलोजी विभाग की अपनी टीम में शामिल डॉ ए के ठक्कर, डॉ प्रमोद, डॉ सतीश, डॉ अमितेश, डॉ शैलेश सहित सर्जरी में सहयोग करने वाले पैरा-मेडिक स्टाफ और ओटी टेक्नी शियंस को धन्यवाद दिया।