CBI के छापे के बाद NSG को बुलाया गया, कमांडो तैनात, सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल का संदेशखाली क्षेत्र एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. कारण, चुनाव से ऐनवक्त पहले यहां केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को छापेमारी की, जिसमें कथित तौर पर एक टीएमसी नेता के रिश्तेदार के घर से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद हुआ है. इसके बाद मौके पर एनएसजी की बॉम्ब स्क्वाड पहुंच गई है. वहीं सीबीआई की कार्रवाई के खिलाफ बंगाल सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. ममता सरकार ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें सीबीआई को छापेमारी की इजाजत दी गई है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवाई की बेंच इस याचिका पर 29 अप्रैल को सुनावई करेगी.
संदेशखाली बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है और यहां 1 जून को लोकसभा चुनाव होना है. इस सीट से बीजेपी ने संदेशखाली की पीड़िता रेखा पात्र को उम्मीदवार बनाया है. वह संदेशखाली कांड के मास्टरमाइंड व निलंबित तृणमूल नेता शाहजहां शेख और उसके गुर्गों की पीड़िता हैं. तीनों आरोपित शाहजहां शेख, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार सलाखों के पीछे हैं.
दरअसल, केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ सीबीआई अधिकारी, संदेशखाली ब्लॉक के सरबेरिया इलाके में तलाशी अभियान शुरू करने के लिए पहुंचे. सीबीआई को पुख्ता जानकारी मिली थी. इसके आधार पर अधिकारियों ने बताए गए घर पर छापेमारी की. इस घर के मालिक की पहचान स्थानीय टीएमसी पंचायत सदस्य हफीजुल खान के एक रिश्तेदार के रूप में की गई. सूत्रों के मुताबिक, घर के भीतर कई बम रखे हुए थे. सीबीआई ने ऑपरेशन को सुविधाजनक बनाने के लिए एक बम-स्कैनिंग उपकरण भी लगाया था. इस मिशन में केंद्रीय सुरक्षा बलों ने 10 सदस्यीय सीबीआई टीम की मदद की.
भारी मात्रा में हथियार और बम मिलने के बाद अधिकारियों इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को दी. इसके बाद एनएसजी की बॉम्ब स्क्वाड पर पहुंची और सर्च ऑपरेशन चलाया. फिलहाल अधिक जानाकरी जुटाई जा रही है.
इससे पहले संदेशखाली मामले में सीबीआई ने पहली एफआईआर दर्ज की थी. सीबीआई ने ईमेल के जरिए शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की थी. इस एफआईआर में पांच लोग नामजद हैं जबकि बाकी अज्ञात लोग हैं. महिलाओं के साथ अत्याचार और जमीन हड़पने के मामलों की जांच के लिए सीबीआई की 10 सदस्यीय टीम ने पिछले हफ्ते संदेशखाली का दौरा किया था. इस दौरान टीम ने पीड़ित परिवारों और महिलाओं बातचीत करके उनके बयान दर्ज किए थे. इसके साथ ही सीबीआई की एक टीम संदेशखाली पुलिस स्टेशन भी पहुंची, जहां मौजूद पुलिसकर्मियों से जांच रिपोर्ट तलब की थी.
टीएमसी ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं. तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि संदेशखाली मुद्दे को सुर्खियों में रखने के लिए एक सुनियोजित साजिश के तहत दिल्ली में नाटकीय गतिविधियां कर मतदान को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है. एक पूर्व निर्धारित नाटक का मंचन किया जा रहा है. जैसे ही यह खबर फैलती है, चर्चाओं का बाजार गर्म हो जाता है. पुलिस को और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है.
ईडी की टीम पर हमला होने के बाद संदेशखाली उस समय सुर्खियों में आया, जब वहां की महिलाओं ने शाहजहां शेख पर जमीन हड़पने और उसके गुर्गों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. इस मामले को लेकर लेफ्ट और बीजेपी पार्टियों ने ममता सरकार के खिलाफ जमकर विरोध किया. संदेशखाली में धारा 144 लगाकर विपक्ष के नेताओं को वहां जाने से रोका गया, हालांकि बीजेपी के नेताओं ने बंगाल से लेकर दिल्ली तक इस मामले को उठाया और ममता सरकार पर दबाव बनाया कि संदेशखाली के सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हो. हालांकि बंगाल पुलिस ने इसके गुर्गों को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन शाहजहां शेख पर हाथ डालने से पुलिस डर रही थी. कोलकाता हाई कोर्ट ने जब शाहजहां की गिरफ्तारी का आदेश दिया तो पुलिस ने एक्शन लेते हुए फरवरी के अंत में अरेस्ट किया था.
इसके बाद संदेशखाली की 5 महिलाओं समेत हिंसा के शिकार 11 पीड़ितों ने कुछ समय पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी. इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. इस दौरान सेंटर फॉर एससी/एसटी सपोर्ट एंड रिसर्च के निदेशक डॉ. पार्थ बिस्वास ने कहा कि संदेशखाली बांग्लादेश बॉर्डर के साथ लगा हुआ है, 10 साल में इसी रास्ते से बड़ी घुसपैठ हुई है. संदेशखाली की डेमोग्राफी तेज़ी से बदल रही है. उन्होंने कहा कि ED पर हुए अटैक के पीछे बाहरी ताकत शामिल थी. उन्होंने टीएमसी का नाम लिए बिना कहा कि शेख शाहजहां के पीछे एक बड़ी पार्टी है. शाहजहां शेख ने दलितों को उनकी ज़मीन से हटाया गया है, आदिवासी ज़मीन की लीज वापस लेने पर मारपीट भी हुई.