अवैध झोंपडिय़ों पर प्रशासन अब भी चुप

Update: 2024-05-11 10:20 GMT
परवाणू। औद्योगिक नगर परवाणू में पिछले कई वर्षों से सरकारी भूमि पर प्रवासियों द्वारा अवैध कब्जा करके झोंपडिय़ां बनाई गई हैं। यहां रह रहे प्रवासी परवाणू शहर और इससे सटी टकसाल और बनासर पंचायत क्षेत्रों के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन गए हैं। जाहिर है, ये लोग अवैध तरीके से रह रहे हैं, ऐसे में वहां शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं। इस कारण यहां पूरे क्षेत्र में गंदगी फैल चुकी है। खुले में शौच जाने के कारण यहां का सारा वातावरण दूषित हो चुका है। इसके चलते सैकड़ों लोग हर दिन डायरिया जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं। अब चूंकि गर्मी का मौसम सिर पर है तो डेंगू कभी भी दस्तक दे सकता है। मगर इतना सब होने के बावजूद प्रशासन ने आज तक तो इन प्रवासियों से सरकारी कब्जा छुड़ाया और न ही इन प्रवासियों को यहां से हटाया गया है। सरकारी तंत्र वर्षों से अपनी ही जमीन पर बनाई गई अवैध झुग्गी झोपडिय़ों की उठवाने में नाकाम और लाचार नजर आ रहा है। ऐसे में कई वर्षों से विभागों की कार्रवाई नोटिस तक ही सीमित रह गई है फिर चाहे वह हिमुडा हो, वन विभाग हो या अन्य संबंधित विभाग। कई झुग्गियों में तो पानी और बिजली का भी प्रबंध है, जोकि अवैध कब्जाधारियों के हौसले बुलंद करने के लिए काफी है।

अवैध कब्जाधारियों को बिजली-पानी के कनैक्शन हर किसी को हैरान करता है। इसी बीच यह भी पता चला है कि अप्रैल माह में हिमुडा की ओर से एक पत्र जिला उपायुक्त को लिखा था जिसमें एक बैठक कर सरकारी भूमि पर हुए अवैध अतिक्रमण को हटाने की रूप रेखा तैयार की जानी थी। इस पत्र की प्रतिलिपि डीसी सोलन, सहायक आयुक्त कार्यालय परवाणू, एसडीएम कसौली, पुलिस विभाग व अन्य संबंधित विभागों को भी भेजी गई थी। हालांकि बीते दिनों परवाणू के सहायक आयुक्त महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा टकसाल पंचायत के कामली गांव और जहां से परवाणू को पानी की सप्लाई होती है, उस कौशल्या नदी का निरीक्षण भी किया गया था। निरीक्षण के दौरान सहायक आयुक्त ने पाया था कि कामली, खड़ीन ग्रामीण क्षेत्र में कौशल्या नदी के पास बहुत बड़ा अवैध स्लम एरिया है और यहां रहने वाले प्रवासी कौशल्या नदी में ही कपड़े धेते हैं और मल मूत्र की गंदगी फैलाते हैं। इन तमाम गतिविधियों को सहायक आयुक्त ने बंद करवाने के आदेश दिए थे। इस स्थान पर वन एवं पुलिस विभाग के जवानों को निगरानी रखने के लिए भी कहा गया था। निरीक्षण के दौरान महेंद्र प्रताप सिंह ने टकसाल एवं बनासर पंचायत और वन विभाग को नदी किनारे बनाई गई अवैध झोंपडिय़ों को भी उठवाने के आदेश दिए थे। परवाणू पिछले कई वर्षों से डेंगू, डायरिया और मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहा है। अधिकतर बीमारियां परवाणू तथा परवाणू से सटी पंचायतों में बने अवैध झोंपडिय़ों से फैलती हैं।
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