एकाउंटेंट से 2.08 करोड़ की ठगी, बीटेक पास आरोपियों के शौक और अय्याशी पड़ गई भारी
बड़ा खुलासा.
नई दिल्ली: कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी के एकाउंटेंट से 2.08 करोड़ रुपये की ठगी करने के मामले में पकड़े गए गिरोह का सरगना दिव्यांशु और पुलकित हैं। दोनों बीटेक पास हैं। लगभग तीन साल तक दोनों ने नेटवर्किंग कंपनी में इंजीनियर की नौकरी की। इस सैलरी से उनके शौक पूरे नहीं हो रहे थे। इसलिए नौकरी छोड़ साइबर ठगी करने लगे। दोनों के पिता गांव में रहते हैं। खेती के साथ प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं।
साइबर थाना प्रभारी निरीक्षक राजीव तिवारी ने बताया कि इस गिरोह के आका तो विदेश में हैं। लेकिन स्थानीय स्तर पर दिव्यांशु और पुलकित गिरोह के सरगना की तरह काम करते हैं। शहरों में खाता धारक और शिकार खोजते हैं। ठगी के के बाद रकम विदेश में आकाओं को स्थानांतरित कर देते हैं।
पुलिस के मुताबिक, पुलकित और दिव्यांशु ने पूछताछ में बताया कि साइबर ठगी करने वाले गिरोह के सरगना के संपर्क में टेलीग्राम के माध्यम से आए हैं। इसके बाद गिरोह के लिए काम करने लगे। दोनों कई बार विदेश भी गए हैं। थाईलैंड और नेपाल में गिरोह के सरगना से मिले। एक बार गिरोह का मुख्य सरगना भारत भी आया था।
पुलिस के मुताबिक, पकड़े गए शातिरों को यह नहीं पता था कि उन्होंने किसके साथ ठगी की है। इंस्पेक्टर राजीव तिवारी ने बताया कि पकड़े गए शातिरों ने बताया है कि टारगेट विदेश में बैठे सरगना ही खोजते हैं।
पुलिस के मुताबिक, दिव्यांशु और पुलकित तीन साल से ठगी कर रहे हैं। अब तक दोनों ने कई घटनाओं को अंजाम दिया है। इन दोनों का काम है म्यूल खाते की व्यवस्था करना, उसमें रकम जमा होने के बाद उसे दूसरे खाते में स्थानांतरित कर सरगना तक पहुंचाना।
पुलकित और दिव्यांशु दस प्रतिशत कमीशन पर काम करते हैं। काम पूरा होते ही उन्हें कमीशन की रकम सरगना भेज देता है। दोनों अपराध की कमाई से मिली रकम को शौक और अय्याशी पर लुटाते हैं। दोनों अविवाहित हैं। महंगे होटल, क्लबों में जाना शौक है।
पुलिस के मुताबिक, आरोपी संजीव एमबीए पास है। वह नौकरी करता है। वह खाता धारकों की व्यवस्था करता है। पकड़े गए संजीव ने पूछताछ में बताया कि उसे नहीं पता था कि उसके खाते का इस्तेमाल ठगी के लिए किया जा रहा है। उसे लगता था सट्टे या गेमिंग एप की रकम के लिए खाते का इस्तेमाल किया जा रहा है। उसे खाते की व्यवस्था करने के लिए पांच प्रतिशत कमीशन मिलता था। वहीं विजय और सुरजीत खाता धारक हैं। इनके खाते में ठगी की रकम आई थी।
साइबर शातिर ठगी में इस्तेमाल खाते में रकम आने के बाद क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से भारत में बैठे एजेंटों को उनका कमीशन दे देते हैं। गिरफ्तारी व अपनी पहचान गोपनीय रखने के लिए आरोपी वीपीएन और आईपी बाउंस कराने जैसी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में प्रभारी निरीक्षक राजीव कुमार तिवारी, आरक्षी लोकेश पटेल, रणवीर सिंह सेंगर, अतुल त्रिवेदी, प्रदीप कुमार यादव, रूप सिंह, अनुराग यादव और अभिषेक यादव शामिल रहे।