स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत कर्नाटक के 52 मंदिर जल निकायों को मिला पुनर्जीवन
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नई दिल्ली। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत कर्नाटक के चार जिलों के 52 से अधिक जल निकायों को पुनर्जीवित कर दिया गया। कर्नाटक के रामनगर, गडग, मांड्या और कोलार जिलों में वर्षों तक बेसुध पड़े जल निकायाें की साफ सफाई कर कायाकल्प कर दिया गया। यह सब हजारों लोगों श्रमदान से संभव हुआ। ये लाेग श्रमदान के जरिए भावी पीढ़ियों जागरूक भी कर रहे हैं। दरअसल, कर्नाटक में जल निकाय केवल अतीत के अवशेष नहीं हैं। वे राज्य के इतिहास, संस्कृति और विरासत के बहुमुखी पहलू का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके साथ ही समकालीन जल प्रबंधन चुनौतियों का समाधान करने की क्षमता भी रखते हैं। ऐसे जल निकाय बहुमूल्य जल संसाधनों के स्थायित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसमें एक लक्कुंडी में मुसुकिना बावी नामक जल निकाय मणिकेश्वर मंदिर के पास बना हुआ है।
भूजल प्रबंधन के लिए बनाए गए जल निकाय गर्मी के दौरान लोगों के प्यास बुझाते थे। निर्माताओं ने भूजल को वर्ष भर उपलब्ध रखने के लिए गहरी खाइयां खोदी और लोगों के नीचे उतरने के लिए कलात्मक सीढ़ियां बनाईं। गडग जिला लक्कुंडी जल निकाय, चालुक्य वास्तुकला के शिखर का प्रतीक हैं। यह कर्नाटक वास्तुशिल्प का चमत्कार हैं। जो प्राचीन निर्माताओं की सहजता और शिल्प कौशल का प्रदर्शन करते हैं। इनमें अक्सर जटिल नक्काशी, अलंकृत खंभे व डिजाइन देखे जाते हैं जो महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत की बेजोड़ झलक हैं। रामनगर जिले के ग्राम बैरवेश्वर मंदिर मेें जल निकाय का निर्माण केम्पेगौड़ा काल के दौरान किया गया था। यह जल निकाय केवल उपयोग करने की संरचनाएं नहीं थीं। वह समुदायों के लिए एकत्र होने के स्थान भी थे। इसने सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेजबानी की और स्थानीय लोगों को पहचान और अपनेपन की भावना प्रदान की।