बच्चों की सलामती को लेकर घरों में पूजा अर्चना, पढ़े ये कहानी

Update: 2022-02-25 15:25 GMT

यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच अलीगढ़ के बेटे भी वहां फंसे हुए हैं. यूक्रेन में मिसाइलें और बम दागे जा रहे हैं. इन बमों की दहशत भारत तक देखने को मिल रही है. हर पल हो रहे धमाकों के बीच भारतीय बच्चे दहशत में वहां फंसे हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ भारत में मौजूद उनके परिवार भी काफी परेशान हैं. अपने बच्चों की सलामती को लेकर अलीगढ़ के परिवार घरों में पूजा अर्चना कर रहे हैं. वह भगवान से विनती कर रहे हैं कि किसी भी तरह से उनके बच्चे सुरक्षित घर आ जाएं. यूक्रेन के हालातों को देखते हुए परेशान परिवारों का कहना है कि वह भविष्य में अपने बच्चों को विदेश पढ़ने के लिए नहीं भेजेंगे.

बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच आपसी विवाद चल रहा था. काफी समय से चल रहे विवाद ने अब विकराल रूप ले लिया है. यही वजह है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया गया है. इस बीच वहां फंसे भारतीय बच्चों के परिवार उनकी सलामती के लिए पूजा कर रहे हैं. छात्रों के परिजन अपने बच्चों के स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं. यूक्रेन में पढ़ने वाले छात्रों में 30 छात्र अलीगढ़ के रहने वाले हैं. ये बच्चे एमबीबीएस करने के लिए यूक्रेन गए थे. बच्चों के परिवारों का कहना है कि उनको बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि हालात इस कदर बिगड़ जाएंगे. अगर उन्हें पता होता तो वह कभी उन्हें पढ़ने विदेश नहीं भेजते.
यूक्रेन में रूस द्वारा मिसाइलों से की जा रही गोलीबारी के बीच अलीगढ़ में अभिभावकों को बच्चों की चिंता सता रही है. वहां के बिगड़ते हालातों पर परिवार अपने बच्चों को लेकर परेशान हो रहे हैं. यह परिवार सरकार से मांग कर रहे हैं कि वहां फंसे उनके बच्चों को कैसे भी सुरक्षित निकाला जाए. परेशान परिवार सरकार से बच्चों को एयरलिफ्ट कराने की मांग कर रहे हैं. साथ ही ये लोग रूस से भी शांति की अपील कर रहे हैं. यूक्रेन में फंसे अलीगढ़ के 20 साल के रितिक वार्ष्णेय की मां का कहना है कि उनका बेटा यूक्रेन के खारकी शहर में रहता है. आसमान से गिर रहे बम को देखते हुए उन्हें अपने बेटे की चिंता हो रही है.
उन्होंने बताया कि बेटे की फ्लाइट 26 फरवरी की थी, जिसे रद्द कर दिया गया है. यूक्रेन में आए संकट के बाद वहां के हालातों को लेकर अलीगढ़ में पूजा अर्चना और हवन-यज्ञ किया जा रहा है. छात्र की मां का कहना है कि यूक्रेन के हालात को देखने के बाद अब कोई मां- बाप अपने बच्चों को घर से दूर विदेश पढ़ने के लिए नहीं भेजेंगे. उन्होंने कहा कि माता-पिता बच्चों के भविष्य के लिए उन्हें विदेश पढ़ने के लिए भेजते हैं, लेकिन अगर विदेश में वार जैसे ऐसे हालात हो जाए, तो वहां पढ़ रहा बच्चा और यहां भारत में रह रहे मां बाप के लिए हालात परेशानी का सबब बन जाता हैं. ऐसे में अकेले खुद को संभालना काफी मुश्किल है.
डॉक्टर विश्वमित्र आर्य ने कहा कि उसका बेटा सौरभ यूक्रेन में पिछले कई सालों से पढ़ाई कर रहा है. वह यूक्रेन के खारकी जिले में रह रहा है. यूक्रेन पर हमले के बाद वह अपने बेटे को लेकर चिंता में हैं. वहां के हालात इस समय काफी भयावक हो गए हैं. माहौल को देखकर उन्हें टेंशन बहुत ज्यादा हो रही है. उन्होंने बताया कि 26 फरवरी को उसके बेटे फ्लाइट थी. रूस के अटैक के बाद यूक्रेन में फ्लाइट ओर ट्रैफिक को पूरी तरह से बंद कर दिया गया. परिवार का कहना है कि वह पीएमओ और एंबेसी से लगातार संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई भी संतुष्ट जवाब नहीं मिल रहा है.
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा भेजी गई फ्लाइट में उसके बेटे का नंबर नहीं आ सका. जिसकी वजह से वह भारत नहीं आ सका. उनकी मांग है कि सरकार कैसे भी बच्चों को एयरलिफ्ट कराएं. उन्होंने कहा कि अलीगढ़ के भी बहुत सारे बच्चे यूक्रेन में फंसे हुए हैं. उन्होंने कहा कि भारत के करीब 15 से 20 हजार बच्चे यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे हैं. एक फ्लाइट के अंदर केवल 200 से 250 बच्चे ही एक बार में आ आते हैं. ऐसे में वह रूस से अपील करते हैं कि वह शांति का दान दें और युद्ध की स्थिति को टालने की कोशिश करें.
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