हर साल इस दिन ही क्यो मनाया जाता हैं ये दिन
यहां जानिए इसके महत्व और इतिहास के बारे में
हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है, यह भारत की 52.8 करोड़ जनता की मजबूत कड़ी है। हिंदी की जड़ें जितनी गहरी हैं, उतना ही समृद्ध इसका इतिहास है। हिंदी के महत्व को मनाने के लिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इस दिन पूरे भारत में हिंदी से संबंधित साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। स्कूलों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। कई स्कूलों और कॉलेजों में हिंदी पखवाड़ा भी मनाया जाता है, जिसमें पंद्रह दिनों तक हिंदी से संबंधित अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लेकिन यह जानना बहुत जरूरी है कि हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है, इसका महत्व क्या है। आइए जानते हैं हिंदी दिवस का इतिहास और महत्व।
हिंदी दिवस का इतिहास क्या है?
हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। आज ही के दिन 1949 में भारत की संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था और इसी दिन हमारे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन को हिंदी दिवस के नाम से मनाने की घोषणा की थी।
इस का क्या महत्व है?
हिंदी दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रयोग को प्रोत्साहित करना है। इसका उद्देश्य इस बारे में जागरूकता फैलाना भी है कि एक भाषा के रूप में हिंदी कितनी समृद्ध है। युवाओं में हिंदी का प्रभाव कम होता जा रहा है, इसलिए हिंदी का प्रयोग बढ़ाने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है। बच्चों में हिंदी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम चलाए जाते हैं। पोस्टर बनाना, कविता लेखन, निबंध लेखन, नुक्कड़ नाटक आदि। इन कार्यक्रमों से बच्चों में हिंदी साहित्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ती है।
हिंदी का जन्म संस्कृत से हुआ है और इसकी लिपि देवनागरी है। भारत के कई राज्यों में हिंदी बोली जाती है। उदाहरण के लिए, हिंदी भाषा का प्रयोग बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, झारखंड, दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में किया जाता है। हिन्दी का साहित्यिक इतिहास भी बहुत पुराना है और यह विश्व भर में प्रसिद्ध भी है। मुंशी प्रेमचंद, रवीन्द्रनाथ टैगोर, शरत चंद, महादेवी वर्मा, दिनकर, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हिंदी साहित्य के कुछ जाने-माने नाम हैं जिन्होंने विश्व मंच पर हिंदी का परचम लहराया है।