हार्ट अटैक से लगातार बढ़ रहा मरने वालों का आंकड़ा, ऋषिकेश समेत चारों धाम में मृतकों की संख्या 177 पहुंची
मरने वालों का आंकड़ा
गोपेश्वर: चारधाम में हृदयाघात से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जानकारी के अनुसार गुरुवार को बदरीनाथ धाम में तीन तीर्थ यात्रियों की हृदयाघात से मौत हो गई। इनमें सीधी (मध्य प्रदेश) निवासी उमाकांत पांडे (64), दमोह (मध्य प्रदेश) निवासी अशोक रानी (68) और नासिक (महाराष्ट्र) निवासी सुरेश शंकर शामिल हैं। इसके साथ ही बदरीनाथ में अब तक 41 तीर्थ यात्रियों की मौत हृदयाघात से हो चुकी है। जबकि, ऋषिकेश समेत चारों धाम में यह संख्या 177 पहुंच गई है।
हृदयाघात से मरने वाले श्रद्धालु
धाम-16 जून को- कुल मृतक
यमुनोत्री- 00- 38
गंगोत्री- 00- 10
केदारनाथ- 00- 82
बदरीनाथ- 03- 41
ऋषिकेश- 00- 06
मोबाइल टीम बचा सकती है हृदयाघात आने पर जान
केदारनाथ धाम व पैदल मार्ग पर विशेषज्ञ चिकित्सक एवं बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं होने के बावजूद श्रद्धालुओं की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा। अब तक बाबा केदार के दर्शनों को आए 82 श्रद्धालुओं की हृदयाघात से मौत हो चुकी है, जो कि केदारनाथ में किसी भी यात्रा सीजन की सर्वाधिक संख्या है। मौत के कारणों की जांच के लिए सरकार ने पिछले दिनों विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम गठित की थी, जो जल्द अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। वहीं, धाम व पैदल मार्ग पर हृदयाघात से होने वाली मौत का आंकड़ा कम करने में मोबाइल मेडिकल टीम भी अहम भूमिका निभा सकती हैं।
वर्ष 2012 में 72 श्रद्धालुओं ने केदारनाथ में हृदयाघात से जान गंवाई थी, लेकिन इस बार 41 दिन में ही यह आंकड़ा 82 पहुंच गया है। इनमें भी अधिकांश श्रद्धालु अस्पताल पहुंचाने से पहले ही दम तोड़ चुके थे। चिकित्सकों का कहना है कि समय से उपचार मिलने पर इन श्रद्धालुओं की जान बचाई जा सकती थी।
केदारनाथ में स्वास्थ्य सेवाएं दे रही सिक्स सिग्मा मेडिकल टीम के प्रबंधक डा. प्रदीप भारद्वाज कहते हैं कि धाम व पैदल मार्ग पर जिन श्रद्धालुओं को हृदयाघात आया, वह जीवित अस्पताल नहीं पहुंच पाए। लेकिन, जिन्हें समय से उपचार मिला, उनमें से 99 प्रतिशत की जान बच गई। डा. भारद्वाज के अनुसार उन्होंने सरकार को सुझाव दिया है कि धाम व पैदल मार्ग पर मेडिकल टीम तैनात की जाएं, ताकि उन श्रद्धालुओं को तत्काल उपचार दिया जा सके, जिन्हें हृदयाघात आया है।
बताया कि वह पूर्व में वर्षा व बर्फबारी से श्रद्धालुओं को बचाने के लिए दर्शनपथ पर टेंट लगाने की सलाह सरकार को दे चुके हैं। दरअसल, दर्शनों को लाइन में खड़े श्रद्धालु वर्षा में भीगने के कारण हाइपोथर्मिया का शिकार हो जा रहे थे। यह स्थिति उनकी मौत का कारण बन रही थी। अच्छी बात यह है कि सरकार ने अब मंदिर के सामने टेंट लगवा दिया है।
इसी तरह केदारनाथ धाम व पैदल मार्ग पर मोबाइल मेडिकल टीम तैनात की जानी चाहिएं। इससे हृदयाघात पीडि़त श्रद्धालुओं को तत्काल उपचार मिल सकेगा। वहीं, मुख्य चिकित्साधिकारी डा. बीके शुक्ला ने बताया कि धाम व पैदल मार्ग पर हृदयाघात से मौत के कारणों की जांच के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम भेजी गई थी। उसने जांच पूरी कर ली है। इसकी रिपोर्ट अब शासन को भेजी जाएगी। रिपोर्ट में दिए गए सुझावों के आधार पर ही मौत के आंकड़ों को कम करने की दिशा में कार्य किया जाएगा।