बैंक में भर्ती घोटाला का मामला: 19 पदों पर हुई भर्ती की जांच में घपला, नियुक्ति रद्द करने के साथ ही मुकदमा होगा दर्ज
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जिला सहकारी बैंक रुड़की (हरिद्वार) में वर्ष 2016-17 में चतुर्थ श्रेणी (गार्ड) के 19 पदों पर हुई भर्ती की जांच में घपला सामने आया है। मामले में कुछ अभ्यर्थियों के शैक्षिक प्रमाण पत्र और खेलकूद प्रमाणपत्र अलग-अगल स्कूलों के मिले हैं।
निबंधक सहकारी बैंक आलोक कुमार पांडे के मुताबिक प्रकरण में राज्य सहकारी बैंक के महाप्रबंधक दीपक कुमार एवं जिला सहकारी बैंक टिहरी के सहायक निबंधक सुभाष चंद गहतोड़ी को प्रतिकूल प्रविष्टि दिए जाने के साथ ही उनकी दो वेतन वृद्धि रोकने के आदेश किए गए हैं।
ये दोनों अधिकारी उस वक्त वहां तैनात थे। इसके अलावा जिन सात अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र फर्जी मिले हैं उनकी नियुक्ति रद्द कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। निबंधक सहकारी बैंक आलोक कुमार पांडे के मुुताबिक जिला सहकारी बैंक रुड़की हरिद्वार में वर्ष 2016-17 में गार्ड के 19 पदों के लिए भर्ती की गई थी। इसमें कुछ कर्मचारियों के खेलकूद के प्रमाण पत्र फर्जी मिले हैं।
जांच में पाया गया कि अभ्यर्थियों के शैक्षिक प्रमाण पत्र किसी दूसरे स्कूल के हैं। जबकि खेलकूद के प्रमाण पत्र किसी अन्य स्कूल के हैं। जांच में यह भी पाया गया कि इन 19 पदों के लिए 2298 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार लिया गया। बैंक द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेखों का अवलोकन करने पर ज्ञात हुआ कि 2298 अभ्यर्थियों में से 79 अभ्यर्थी अनुसूचित जनजाति के 868 अनुसूचित जाति के एवं 1352 अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी के थे।
सिफारिश को कर दिया गया रद्द
साक्षात्कार के लिए 10 अंक तय किए गए थे। लेकिन चयनकर्ताओं ने अनुसूचित जनजाति के 79 अभ्यर्थियों में से 58 अभ्यर्थियों को, अनुसूचित जाति के कुल 868 अभ्यर्थियों में से 415 अभ्यर्थियों को एवं सामान्य श्रेणी के कुल 1352 अभ्यर्थियों में से 506 अभ्यर्थियों को कोई अंक प्रदान नहीं किए। जांच रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि चयन कमेटी के सदस्यों के द्वारा अलग-अलग तैयार की गई साक्षात्कार सूची एवं अंतिम साक्षात्कार की सूची में अंकित किए गए अंकों में भिन्नता है। सहकारी बैंक के निबंधक ने कहा कि प्रकरण में बोर्ड की ओर से कहा गया कि बैंक के चेयरमैन के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए, लेकिन उनकी इस सिफारिश को रद्द कर दिया गया है। कहा गया है कि संबंधित के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए ऐसा न करने पर बोर्ड को भंग किया जाए।