मेरठ न्यूज़: मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) के क्लर्क रविंद्र चौहान की विजिलेंस जांच पिछले छह माह से चल रही थी। विजिलेंस ने क्लर्क पर शिकंजा कस दिया हैं। क्लर्क पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित कर लेने का आरोप हैं। विजिलेंस की टीम ने उनसे पूछताछ की और उनकी संपत्ति की पूरी कुंडली खंगाली जा रही हैं। यही नहीं, क्लर्क के ससुराल पक्ष के लोगों की भी संपत्ति को खंगाला गया। आरोप ये भी है कि क्लर्क ने अपने नाम संपत्ति नहीं करा कर अपने ससुराल पक्ष के लोगों के नाम संपत्ति कराई है।
इसको लेकर विजिलेंस टीम ने जांच पड़ताल की। विशेष सचिव सतर्कता अनुभाग 3 (क) एक पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि रविंद्र चौहान क्लर्क मेरठ विकास प्राधिकरण के विरुद्ध की गई जांच और सतर्कता विभाग की संस्तुति के बाद दो बिंदुओं पर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। बिंदू दिए गए हैं, जिसमें क्लर्क पर शासन ने तत्काल कार्रवाई के लिए मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को पत्र लिखा है। पहला बिंदू क्लर्क रविंद्र चौहान के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक अनुशासन एवं अपील नियमावली 1999 (क) अंतर्गत विभागीय कार्रवाई किया जाना तथा दूसरा बिन्दू रविंद्र चौहान के अभिलेखों में अन्वेषण प्रचलित है।
इसको दर्ज किया जाने के लिये लिखा हैं। यह पत्र अनुसचिव शीतला प्रसाद उत्तर प्रदेश शासन की तरफ से मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को लिखा गया है। दरअसल, समाज सेवी नरेश अग्रवाल ने एक शिकायत की थी, जिसमें मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) क्लर्क रविंद्र चौहान पर आय से अधिक संपत्ति इकट्ठा करने का आरोप लगाया था। उन पर आरोप था कि बेगमपुल स्थित एक दुकान रविंद्र चौहान ने खरीदी है, जिसमें वर्तमान में मेडिकल स्टोर चल रहा है। साथ ही बच्चों को मेडिकल की पढ़ाई कराने में जो खर्च आया है, वह आय से अधिक संपत्ति का पैसा लगा है। कई प्लॉट और कृषि भूमि भी खरीदने का तथ्य शिकायत में दिया गया था, जिसकी जांच सतर्कता विभाग ने रविंद्र चौहान की संपत्ति और उसके ससुराल पक्ष की संपत्ति की जांच पड़ताल कर की है। इसके बाद ही विजिलेंस के अधिकारियों ने जांच पड़ताल में रविंद्र चौहान को दोषी मानते हुए उनकी सेवा पुस्तिका पर विशेष रिमार्क रेड पेन से दर्ज करने के लिए भी कहा गया है। फिलहाल इसमें कोई एफआईआर विजिलेंस टीम की तरफ दर्ज नहीं कराई गयी हैं।