NCR Ghaziabad: कर्मचारी ने नौ माह के बच्चे का अपहरण कर नि:संतान दंपती को बेचा

"खिलौना दिलाने के बहाने से अर्चित को उसकी मां की गोद से ले गया था"

Update: 2025-02-06 07:21 GMT

गाजियाबाद: दीनानाथ पट्टी से फैक्टरी कर्मचारी मनोज कुमार के नौ माह के अर्चित का घर से ही अपहरण कर 80 हजार रुपये में नि:संतान दंपती को बेच दिया गया। पैसे के लालच में यह वारदात मनोज कुमार के साथ फैक्टरी में काम करने वाले मनोज कुमार नाम के ही कर्मचारी ने की। वह खिलौना दिलाने के बहाने से अर्चित को उसकी मां की गोद से ले गया था।

पुलिस ने बदायूं के हरहरपुर के निवासी मनोज , बच्चे का सौदा कराने वाले ऊधम सिंह नगर के बांसखेड़ा गांव के महावीर सिंह और बच्चे को खरीदने वाले हरबंश को गिरफ्तार कर लिया। महावीर और हरवंश एक ही गांव के हैं। पुलिस ने सबसे पहले मनोज को बदायूं से गिरफ्तार किया। वह 80 हजार रुपये लेकर अपने गांव चला गया था।

एसीपी वेव सिटी लिपी नगायच ने बताया कि मनोज ने अर्चित का अपहरण मंगलवार को किया था। पुलिस को मंगलवार की शाम ही इसकी सूचना दी गई। अर्चित के पिता मनोज ने बताया कि उनके साथ काम करने वाला मनोज घर आया था। अर्चित उनकी पत्नी की गोद में था। मनोज ने कहा था कि वह उसे अपने साथ ले जा रहा है। खिलौना दिलाकर वापस ले आएगा। काफी देर बीत जाने पर वह नहीं आया। उसका फोन स्विच आफ था। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई।

एसीपी ने बताया कि पुलिस ने दीनानाथ पट्टी के सीसीटीवी फुटेज खंगाले। इनमें मनोज बच्चे को लेकर जाता नजर आया। इसके बाद उसकी तलाश में टीम लगाई गई। उसके मोबाइल की आखिरी लोकेशन मालूम की गई। उसके घर की जानकारी कर टीम भेजी गई। उसे पकड़ने के बाद भी बच्चा नहीं मिला। उसने बताया कि बच्चे को उसने महावीर को दे दिया था।

इसके बाद पुलिस ने महावीर को उसके गांव से बरामद किया। महावीर ने बताया कि बच्चा हरबंश को 80 हजार में बेचा है। हरबंश और उसकी पत्नी ने उससे कहा था कि वे निसंतान हैं। उन्हें कहीं से भी बच्चा लाकर दे। उन लोगों ने बच्चे के बदले 80 हजार रुपये दिए थे। पूरी रकम मनोज को दे दी। इसके बाद पुलिस हरबंश के घर पहुंची। वहां बच्चा मिल गया। हरबंश को गिरफ्तार कर लिया गया।

जिस थाली में खाया उसी में कर दिया छेद: बच्चा वापस मिलते ही मनोज के घर में खुशियां लौट आईं। मनोज की पत्नी की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि भगवान ने उनकी सुन ली। डर था कि बच्चे के साथ कोई अनहोनी न हो जाए। उन्होंने बताया कि अपहरण करने वाले मनोज को वह अपने भाई की तरह मानती थीं। वह पति के साथ घर आता था। वह ड्यूटी के बाद अक्सर घर आ जाता था। हर बार उसे खाना खिलाती थीं। उसके कपड़े धोती थीं। पति को टिफिन लगाकर देती थीं तो मनोज के लिए भी खाना देती थीं। पति और मनोज धौलाना के खिचरा गांव स्थित फैक्टरी में काम करते हैं।

शराब और खाने में खर्च कर दिए पांच हजार: आरोपी मनोज से 80 हजार में से सिर्फ पांच हजार रुपये बरामद हुए हैं। उसने पुलिस को बताया कि 70 हजार रुपये एक रिश्तेदार को दे दिए थे। दस हजार उसने मौज मस्ती के लिए रखे थे। पांच हजार रुपये शराब पीने और खाने में खर्च कर चुका था। अगर पुलिस नहीं पकड़ती तो बाकी के पांच हजार भी एक दो दिन में ही शराब और खाने में खर्च कर देता। एसीपी ने बताया कि बाकी की रकम भी बरामद करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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