उत्तर प्रदेश : 100 साल की हो चुकी पांडुलिपि को पुस्तक की शक्ल देने के लिए विद्यापीठ विशेषज्ञों से कर रहा संपर्क
प्रतीकात्मक तस्वीर
जनता से रिश्ता : कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने बताया कि बाबू शिवप्रसाद गुप्त ने इस पांडुलिपि में अपनी विदेश यात्राओं के वर्णन के साथ ही दुनिया के सभी धर्मों के पीछे की भावना का विश्लेषण भी किया है। पांडुलिपि में कई जगह हाथ से स्केच और नक्शे बनाए गए हैं। 10 फरवरी 2022 को शताब्दी स्थापना दिवस समारोह में कुलपति ने मंच से इस पुस्तक का प्रकाशन कराने की घोषणा की थी। हालांकि इसकी पांडुलिपि की जर्जर अवस्था देखते हुए विशेषज्ञों की मदद से डिजिटलाइज कराकर प्रिंट कराने की तैयारी है।
प्रो. त्यागी ने बताया कि बाबू शिवप्रसाद गुप्त की लाइब्रेरी से इस पांडुलिपि को उनके परिजनों ने उपलब्ध कराया है। पुरानी होने के कारण पन्ने काफी जीर्णशीर्ण हैं। ऐसे में विद्यापीठ ने दिल्ली के विशेषज्ञों से संपर्क किया है। जो पुस्तक को बिना छुए ऑप्टिकल प्रिंटिंग तकनीक से इसके शब्द और स्केच की छपाई किताब के रूप में कर सकें। कुलपति ने कहा कि काशी विद्यापीठ की तरफ से इस पुस्तक के प्रकाशन का संकल्प हर हाल में पूरा कराया जाएगा।
सोर्स-hindustan