UP News: अपराधी साइबर ठगी करने के लिए नए-नए तरीके खोजते रहते हैं। कभी डिजिटल अरेस्ट करते हैं तो कभी इंटरनेट बैंकिंग से साजिश रचते हैं। कानपुर पुलिस ने ऐसे ही एक गिरोह के लोगों को गिरफ्तार किया है, जो मदरसों का इस्तेमाल साइबर ठगी करने के लिए कर रहे थे। पुलिस ने मुखबिर से सूचना मिलने के बाद सभी आरोपियों को क्रिकेट पिच से गिरफ्तार किया है। कानपुर के कर्नलगंज थाने की पुलिस टीम को सूचना मिली थी कि कुछ लोग इंटरनेट बैंकिंग और फोन कॉल के जरिए साइबर क्राइम कर रहे हैं। साइबर जालसाज लोगों को धमकाकर और लालच देकर ठगी करते हैं। कानपुर के साइबर जालसाज भी कुछ ऐसा ही कर रहे थे। आरोपी डिजिटल अरेस्ट करके लोगों से जबरन अपने और अपने साथियों के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर रहे थे।
पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया पुलिस के मुखबिरों ने सूचना दी कि वही लोग जीआईसी मैदान में इकट्ठा हो रहे हैं और क्रिकेट पिच पर बैठकर योजनाबद्ध तरीके से नया साइबर क्राइम करने की योजना बना रहे हैं। मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस सतर्क हो गई। पुलिस ने इलाके को घेरकर छापेमारी की और दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया। अंधेरे का फायदा उठाकर दो लोग मौके से फरार हो गए। गिरफ्तार आरोपियों में से एक जावेद ने पुलिस को बताया कि वह कासिमुल उलूम फाउंडेशन नाम से मदरसा चलाता है, जिसमें अनाथ बच्चों को पढ़ाया जाता है। पुलिस ने बताया कि जावेद और उसके कुछ साथी इंटरनेट बैंकिंग के जरिए धोखाधड़ी करते थे और लोगों के खातों से पैसे मदरसे के खाते में ट्रांसफर करवा लेते थे, ताकि किसी को उन पर शक न हो और बाद में वे पैसे आपस में बांट लेते थे।
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे ज्यादातर एनजीओ के बैंक खातों को निशाना बनाते थे और उनका इस्तेमाल करते थे। पकड़े जाने से कुछ महीने पहले इन लोगों ने मिलकर एक धोखाधड़ी की थी, जिसमें से इन्होंने 32.50 लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर किए और तुरंत ही अपनी सुविधानुसार थोड़ा-थोड़ा करके दूसरे खातों में ट्रांसफर कर लिए। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे इस तरह से धोखाधड़ी करके ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहे थे। पुलिस ने गिरफ्तार दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर बाकी आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।