Lucknow लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा 'लव जिहाद' पर प्रस्तावित विधेयक सोमवार को बिना किसी रुकावट के पारित हो गया। योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 को विधानसभा में पेश किया, जिसमें 'लव जिहाद' के मामलों में आजीवन कारावास की कठोर सजा का प्रस्ताव है। इस कदम का भाजपा ने व्यापक स्वागत किया, जबकि विपक्ष ने विधेयक को लेकर सरकार की आलोचना करते हुए इसे भाजपा सरकार का 'विभाजनकारी' कदम बताया। समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भाजपा सरकार को 'नकारात्मक राजनीति' करने वाला बताया।
इस नए कानून में कड़े प्रावधान शामिल हैं, जिसमें लव जिहाद से जुड़े अपराधों में दोषी पाए जाने वालों के लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2024 के संशोधित प्रावधानों के तहत यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन के इरादे से किसी महिला, नाबालिग या किसी को धमकाता है, हमला करता है, शादी करता है या शादी का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है या तस्करी करता है तो उसका अपराध सबसे गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा। संशोधित विधेयक में ऐसे मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास का प्रावधान है। इससे पहले, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधेयक पेश किया, जिसमें जोर दिया गया कि उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के तहत मौजूदा प्रावधान "अपर्याप्त" हैं। सरकार ने मौजूदा विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव रखा, जिसमें अधिकतम दस साल की सजा को बढ़ाकर आजीवन कारावास करना शामिल है।नए विधेयक में अपराधियों के लिए और अधिक कठोर सजा का प्रस्ताव किया गया है, जिससे जमानत मिलना और भी मुश्किल हो जाएगा। इतना ही नहीं, नए विधेयक में राज्य में संबंधित मामलों के संबंध में किसी को भी शिकायत दर्ज कराने की अनुमति देने के लिए दायरा भी बढ़ाया गया है।
नए विधेयक में संशोधन के बाद संशोधित प्रावधानों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन की नीयत से किसी महिला, नाबालिग या किसी को धमकाता है, हमला करता है, शादी करने का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है या तस्करी करता है तो उसके अपराध को सबसे गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा। संशोधित विधेयक में ऐसे मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है। पहले इसके तहत अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान था। संशोधित प्रावधान के तहत अब कोई भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन के मामलों में एफआईआर दर्ज करा सकता है। पहले मामले में सूचना या शिकायत देने के लिए पीड़ित, माता-पिता, भाई-बहन की मौजूदगी जरूरी थी, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ा दिया गया है। अब कोई भी व्यक्ति लिखित में पुलिस को इसकी सूचना दे सकता है। प्रस्ताव किया गया है कि ऐसे मामलों की सुनवाई सत्र न्यायालय से नीचे की कोई अदालत नहीं करेगी और इसके साथ ही सरकारी वकील को मौका दिए बिना जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा। साथ ही इसमें सभी अपराधों को गैर जमानती बनाया गया है। नवंबर 2020 में इसके लिए अध्यादेश जारी किया गया था और बाद में उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों से विधेयक पारित होने के बाद उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 लागू हो गया।