UP के सरकारी कर्मचारी 5 साल तक काम किए बिना भी ले सकेंगे अध्ययन अवकाश

Update: 2024-07-11 02:54 GMT
Educational leave: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि विशेष परिस्थितियों में पांच वर्ष की सेवा पूरी करने से पहले भी शैक्षिक अवकाश (educational leave) लिया जा सकता है। कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक प्रयागराज को इस निष्कर्ष के आलोक में याची के प्रार्थना पत्र पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने निदेशक के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें याची को इस आधार पर अध्ययन अवकाश देने से इनकार कर दिया गया था कि उसने पांच वर्ष की सेवा पूरी नहीं की है। कोर्ट ने एक माह के भीतर कानून के अनुसार उचित निर्णय लेने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी (Justice Subhash Vidyarthi) ने यह आदेश प्रिया मिश्रा की प्रार्थना पर दिया। याची प्रिया मिश्रा पंडित दीन दयाल उपाध्याय राजकीय बालिका डिग्री कॉलेज सेवापुरी वाराणसी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। याची ने 9 जून 2023 को प्रार्थना पत्र देकर कहा था कि सरकारी सेवा में आने से पहले वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी (Banaras Hindu University, Varanasi) से पीएचडी कर रही थी। उसने नियमित शोध छात्रा के रूप में अपना कोर्स और दो वर्ष का कार्य पूरा कर लिया है। सेवा में आने से पहले वह दो वर्ष के शोध कार्य से अस्थायी रूप से अनुपस्थित रही थी। यह अवधि 28 जून 2023 को समाप्त हो गई।
याची ने 29 जून 2023 से 28 जून 2024 तक एक वर्ष की अवधि के लिए अध्ययन अवकाश स्वीकृत करने के लिए आवेदन किया था। उच्च शिक्षा निदेशक प्रयागराज ने 4 अप्रैल 2023 के आदेश से आवेदन खारिज कर दिया। कहा गया कि वित्तीय नियमावली (Financial Rules) की धारा 2 के नियम 146 (ए) के प्रावधानों के अनुसार अध्ययन अवकाश केवल उसी सरकारी अधिकारी को दिया जा सकता है, जिसने कम से कम पांच वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो। याची ने पांच वर्ष की सेवा पूरी नहीं की। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उत्तर प्रदेश के फंडामेंटल रूल्स के नियम 84 के तहत राज्यपाल द्वारा जारी नियमों में प्रावधान है कि सामान्य तौर पर पांच वर्ष से कम सेवा वाले सरकारी कर्मचारियों को शैक्षिक अवकाश नहीं दिया जाना चाहिए। तर्क दिया गया कि शब्द के सामान्य प्रयोग से यह
संकेत मिलता
है कि विशेष परिस्थितियों में पांच वर्ष की सेवा पूरी करने की अनिवार्यता में छूट दी जा सकती है। याचिकाकर्ता को अपने शोध कार्य और पढ़ाई पूरी करने के लिए केवल एक वर्ष का अतिरिक्त समय मिलना चाहिए। यह याचिकाकर्ता के पक्ष में एक विशेष परिस्थिति है। अध्ययन अवकाश आवेदन पर निर्णय लेते समय इस पर विचार किया जाना चाहिए था। याचिका स्वीकार करते हुए कोर्ट ने यूपी उच्च शिक्षा निदेशक प्रयागराज (UP Higher Education Director Prayagraj)के आदेश को रद्द कर दिया।
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