चार साल से अल्ट्रासाउंड मशीन फांक रही धूल, सीएचसी में चिकित्सकों का टोटा

Update: 2023-01-04 08:21 GMT

मवाना: मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के चलते जिला अस्पताल के रूप में अस्तित्व बनाए रखने वाली सीएचसी पर चिकित्सकों का टोटा बरकरार है। चिकित्सकों की कमी के चलते मरीजों का सीएचसी में प्राथमिक उपचार असंभव नजर आ रहा है।

इन दिनों सीएचसी पर हड्डी विशेषज्ञ से लेकर नाक, कान एवं गले के चिकित्सकों के साथ-साथ एक बाल रोग विशेषज्ञ, दो फिजीशियन, एक सर्जन आदि चिकित्सकों की दरकार से अभी तक जूझ रहा है। महत्वपूर्ण डाक्टरों की सीएचसी पर तैनाती नहीं हैं। ऐसे कैसे मरीजों का उपचार हो पाएगा?

हाल फिलहाल में सीएचसी का जिम्मा सीएचसी चिकित्सक अधीक्षक एवं बाल रोग विशेषज्ञ प्रतिदिन ओपीडी को संभालने के साथ इमरजेंसी भी कर रहे हैं। रेडियोलोजिस्ट चिकित्सक की कमी के चलते चार साल पहले सीएचसी में आई अल्ट्रासाउंड मशीन धूल फांक रही है।

सीएचसी पर हो रही बच्चों समेत 600 मरीजों की ओपीडी

सीएचसी में चिकित्सकों की कमी के चलते मरीजों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। सीएचसी पर बाल रोग विशेषज्ञ डा. अनिल शर्मा प्रतिदिन बच्चों से लेकर बडेÞ मरीजों की करीब 100 से 150 मरीजों का इलाज कर रहे हैं तो वहीं चिकित्सक अधीक्षक अरुण कुमार भी अपने समय से शाम चार बजे तक दोनों चिकित्सक 600 मरीजों की ओपीडी करने में जुटे हैं।

अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर कट रही मरीजों की जेब

सरकार द्वारा मरीजों को गंभीर बीमारियों का प्राथमिक उपचार दिलाये जाने के लिए सीएचसी पर चार साल पहले अल्ट्रासाउंड मशीन दी गई थी, लेकिन रेडियोलोजिस्ट चिकित्सक की कमी के चलते अल्ट्रासाउंड मशीन धूल फांक रही है। जिसके चलते सीएचसी पर आने वाले मरीजों को चिकित्सक पेट, कमर आदि बीमारी से ग्रस्त मरीजों को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए बाहर स्थित सेंटर पर जाना पड़ रहा है। प्राइवेट नर्सिंग होम के बाहर में खुले सेंटरों पर मरीज घंटों इंतजार के बाद अपना अल्ट्रासाउंड करवाकर उनकी जेब पर डाका जा रहा है।

वाटर कूलर पर लग जाता है सुरा प्रेमियों का अड्डा

सीएचसी चिकित्सकों की अनदेखी के चलते सीएचसी परिसर में लगे वाटर कूलर के पास दिन निकलते ही शराब पीने वाले सुराप्रेमियों का अड्डा लग जाता है, लेकिन उनको रोकटोक करने वाला कोई नहीं है। सीएचसी में आने वाली महिला मरीजों को भी इस समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। महिलाओं ने इस समस्या पर अंकुश लगाने की मांग उठाई है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हो सका।

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