मेरठ: गन्ना क्रेशर चीनी मिल चलने तक नहीं चलेंगे। गन्ना विभाग अपने इस आदेश को लेकर शुक्रवार को बैकफुट पर आ गया। गन्ना विभाग के आला अफसरों ने एक नया आदेश जारी किया, जिसमें कहा कि क्रेशर या फिर खांडसारी ईकाइयां गन्ना खरीद सकती हैं, इस पर जो चीनी मिल चलने तक रोक लगाई गयी थी, उस निर्णय को वापस ले लिया गया हैं। इसके आदेश उप गन्ना आयुक्त के आफिस में पहुंच गए। इसके बाद मौखिक रूप से क्रेशन या फिर खांडसारी ईकाइयों के मालिकों को कह दिया गया कि संचालन पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं हैं। संचालन भी करें और गन्ना भी खरीदे। दरअसल, 'जनवाणी' ने गन्ना विभाग के उस गन्ना क्रेशरों पर गन्ना नहीं खरीदने के आदेश को फोकस करते हुए खबर प्रकाशित की थी। इस आदेश को लेकर गन्ना विभाग के अधिकारियों की जनता के बीच खासी किरकिरी भी हो गयी हैं। खुद भाजपा नेता भी गन्ना विभाग के खिलाफ डटकर खड़े हो गए हैं। इसके बाद ही गन्ना विभाग के आला अफसरों को बैकफुट पर आना पड़ा।
बता दें कि क्रेशरों पर गन्ने की पैराई तब तक नहीं होने दी जाएगी, जब तक चीनी मिल नहीं चलेंगे। प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त के इस फरमान के बाद वेस्ट यूपी में क्रेशर मालिकों में उबाल आ गया था। किसान भी आक्रोशित हो गए थे। गेहूं की बुवाई दीपावली पर करने के लिए गन्ने के खेत को खाली करने के लिए क्रेशर पर गन्ना डाल दिया जाता था। इसमें किसान को राहत मिल जाती थी। हालांकि गन्ना मूल्य कम मिलता था, मगर गेहूं की अगेती बुवाई हो जाती थी। प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त के इस फरमान का विरोध आरंभ हो गया हैं। भाजपा के नेता ही प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त के खिलाफ दो दिन बाद सड़क पर आकर प्रदर्शन करेंगे, जिसके बाद भाजपा की खासी किरकिरी हो सकती हैं। यह सरकार का निर्णय किसान विरोधी हैं। चीनी मिल एक तो विलंब से चलाये जाते हैं, फिर समय से किसान को पर्ची भी नहीं मिल पाती हैं। इसी वजह से किसान गेहूं की बुवाई समय से नहीं कर पाता हैं।
छोटे किसान क्रेशन पर ही अपना गन्ना डालते थे। एक तरफ तो खांडसारी इकाई को बढ़ावा देने के लिए लाइसेंस दिए जा रहे हैं। मेरठ में ही 17 लाइसेंस दिये गए। वहीं, दूसरी ओर प्रदेश सरकार ने चीनी मिल मालिकों के दबाव में आकर क्रेशरों के संचालन पर सवाल उठाते हैं। प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय और भूसरेड्डी के पत्र से क्रेशर एवं खांडसारी इकाइयों के मालिकों में खलबली मचा दी है। उन्होंने उप गन्ना आयुक्त मेरठ को जो पत्र लिखा है, उसमें कहा है कि खांडसारी की एक भी इकाई तब तक नहीं चलनी चाहिए जब तक चीनी मिल चालू नहीं हो जाते। इस पत्र के आशय से यह स्पष्ट हो रहा है कि चीनी मिल मालिकों और ने यह दबाव गन्ना क्रेशर पर बनाने के लिए इस तरह का कदम उठाया जा रहा है। दरअसल, गन्ना क्रेशर आमतौर पर दीपावली पर चालू कर दिए जाते थे। क्योंकि गन्ना काटकर गेहूं बोने का कार्य किसान करता है, जिसके चलते अपने गन्ने के खेत को किसान अति शीघ्र खाली कर गेहूं की बुवाई करने का काम करता है। क्योंकि दीपावली के तत्काल बाद गेहूं की बुवाई भी आरंभ हो जाती है। इसको दृष्टिगत रखते हुए बड़ी तादाद में किसान अपना गन्ना क्रेशर पर डालते हैं।
गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय आर भूसरेड्डी के पत्र के बाद पश्चिमी यूपी के किसान आंदोलित हो गए हैं। किसान ही नहीं, बल्कि क्रेशर मालिक भी इसको मुद्दा बना रहे हैं। क्योंकि खांडसारी इकाई के अधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों में दौरा कर गन्ना क्रेशर को बंद करा रहे हैं। इससे टकराव के हालात पैदा हो सकते थे। इस बात को गन्ना विभाग की समझ में तो आया, लेकिन थोड़ी देर से।