बाघों को खुद का रास्ता दिया जाएगा, अंडरपास बने तो मिली राहत, अब हाईवे पर नहीं आएंगे
बाघों को अब खुद का रास्ता दिया जाएगा। इससे बाघ हाईवे पर नहीं आएंगे और लोगों के लिए खतरा भी कम रहेगा। बाघों को रास्ता देने के लिए अंडरपास बन गए हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क बाघों को अब खुद का रास्ता दिया जाएगा। इससे बाघ हाईवे पर नहीं आएंगे और लोगों के लिए खतरा भी कम रहेगा। बाघों को रास्ता देने के लिए अंडरपास बन गए हैं। जंगलों के बीच से गुजर रहे हाईवे पर बाघों के लिए अंडरपास बनाए गए हैं। नेशनल हाईवे 730 ए के नीचे से बाघों को अपना रास्ता दिया गया है। हाईवे पर दो अंडरपास बनाकर महेशपुर और आंवला जंगल को जोड़ा गया है। इसके कारण अब बीते तीन माह में एक भी बाघ ने एनएच 730 ए नहीं पार किया। इससे बाघ भी सुरक्षित रहे और लोगों के लिए भी खतरा कम रहा। हाईवे पर पड़ने वाले दो जंगलों को अंडर पास के जरिए जोड़ दिया गया है।
किसी भी जंगल में बाघों व अन्य वन्यजीवों के लिए रास्ता दिए जाने का यह पहला मामला है। इसी का नतीजा है कि तीन माह से एक भी बाघ ने हाईवे पर आकर रोड पार नहीं किया। दुधवा के बाद अगर कहीं सबसे ज्यादा बाघों की आमदोरफ्त है तो वह है महेशपुर का जंगल। छोटा होने के बाद भी यह जंगल बाघों के लिए काफी उपयुक्त है। यहां करीब 17 बाघों की मौजूदगी बताई जाती है। महेशपुर का यह जंगल हाईवे के किनारे है। इसी हाईवे से बरेली, दिल्ली, शाहजहांपुर जाने वाले वाहन गुजरते थे। मुसीबत तब खड़ी होती थी, जब बाघ जंगल पारकर हाईवे पर चढ़ आते थे और हाईवे के बाद वे पास की बस्तियों तक पहुंच जाते थे। महेशपुर में बाघों की दहशत कई साल रही। बाघों ने कई लोगों की जान ली। पर यहां वन विभाग का कोई ऑपरेशन कामयाब नहीं हुआ। कभी बाघ को पहचाना या पकड़ा नहीं जा सका।
इन हालातों को देखते हुए तीन साल पहले वन विभाग की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। तत्कालीन दुधवा फील्ड डायरेक्टर रमेश पाण्डेय, उप निदेशक दुधवा अनिल पटेल, डीएफओ समीर कुमार , मोहम्मदी के रेंजर मोबिन आरिफ ने जंगल में अंडर पास बनाने के लिये प्रस्ताव भेजा था। उसकी मंजूरी के बाद काम शुरू हुआ है। हाई वे के चौड़ीकरण के साथ दो अंडर पास भी तैयार हो गए। महेशपुर के रेंजर नरेश पाल सिंह ने बताया कि हाईवे पर जितना जंगल क्षेत्र आता है, वहां वायर फेंसिंग का कार्य पूरा हो गया है। लोक निर्माण विभाग ने जंगल क्षेत्र की सड़क को करीब तीन फिट ऊंचा किया है। इसके बाद जंगल उसके अनुपात में नीचे चला गया है। वायर फेंसिंग के बाद बाघ व अन्य जानवर हाईवे पर नहीं आ आ रहे हैं। जंगल क्षेत्र के अंदर वे अंडरपास के जरिए ही जाएंगे।
महेशपुर जंगल से निकलकर बाघ आंवला के जंगल तक अंडरपास के भीतर से ही जा रहे हैं। एक अंडरपास साहबगंज जंगल में भी बना है। यह जंगल भी महेशपुर वन रेंज में ही आता है। दस किलोमीटर में बाघ सहित जंगली जानवरों के रोड क्रॉस करने के लिये दो अंडरपास बन चुके है। यही वजह है कि तीन माह में एक बार भी बाघ हाईवे पर नहीं आए। डीएफओ संजय विश्वाल कहते हैं कि इस प्रयोग से सफलता मिली है। हाईवे पर बाघों के आने से उनके साथ लोगों को भी खतरा रहता था।