कांवड़ मेले की पाबंदियों के चलते तीन सौ कंटेनर फंसे, निर्यात को भी झटका
कांवड़ मेले की पाबंदियों के चलते तीन सौ कंटेनर अंतरदेशीय कंटेनर डिपो में फंस गए हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कांवड़ मेले की पाबंदियों के चलते तीन सौ कंटेनर अंतरदेशीय कंटेनर डिपो (आईसीडी) में फंस गए हैं। कंटेनर फंसने से मुरादाबाद की कई एक्सपोर्ट यूनिटों के साथ ही उत्तराखंड की औद्योगिक इकाइयों में कामकाज लगभग ठप हो गया है। वहीं, निर्धारित समय सीमा से अधिक समय कंटेनर आईसीडी में रोकने से निर्यातकों को पेनाल्टी चुकाने का भी झटका लग गया है।
शिपिंग लाइनों की तरफ से एक सप्ताह से अधिक समय तक कंटेनर को अंतरदेशीय कंटेनर डिपो में रखने पर पेनाल्टी लगा दी गई है। निर्यातकों को यह पेनाल्टी डॉलर में चुकानी होगी। कुछ निर्यातकों व आयातकों के एक से ज्यादा कंटेनर डिपो में फंसे हैं। उन्हें उतनी ही संख्या में कंटेनरों के हिसाब से पेनाल्टी चुकानी होगी। इसे लेकर निर्यातकों व आयातकों में हड़कंप मच गया है। उन्होंने कॉनकॉर से मदद की गुहार लगाई है।
कई निर्यातकों को पांच गुना पेनाल्टी का झटका
कॉनकॉर के टर्मिनल मैनेजर आशीष गौतम ने कंटेनर को तय सीमा से अधिक समय आईसीडी में रखे जाने पर पेनाल्टी चुकाने की बाध्यता की पुष्टि की। बताया कि जिन निर्यातकों ने कंटेनर बुक करा लिए हैं, लेकिन, आवाजाही बंद होने से कंटेनर माल की लोडिंग के लिए फैक्ट्री नहीं पहुंचाए जा पा रहे हैं उन्हें पेनाल्टी चुकानी पड़ेगी। उत्तराखंड की कई औद्योगिक इकाइयों के लिए आईसीडी पर इंपोर्ट हुआ कच्चा माल भी कंटेनर डिपो में ही अटक गया है।
वहीं उच्च वैश्विक मुद्रास्फीति के बीच निर्यातक रुपये के झटके को सहने के लिए भी तरीके तलाशे जा रहे हैं। उच्च वैश्विक मुद्रास्फीति के बीच रुपये में गिरावट ने भारतीय निर्यातकों को बिक्री बनाए रखने और अपने मुनाफे को बचाने के लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है। आभूषण निर्यातक हल्के वजन के आभूषण बनाने का विकल्प चुन रहे हैं, जबकि इंजीनियरिंग सामान निर्माता सस्ते भारतीय कोयले और कोक की तलाश कर रहे हैं। महंगे आयात के प्रभाव को कम करने के लिए कालीन निर्यातक आयातित और स्थानीय रंगों को मिलाने के तरीके तलाश रहे हैं।