इस तीर्थ स्थल में दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है चार धाम की यात्रा, जानिए इसका प्राचीन इतिहास

यूपी की राजधानी लखनऊ के पास सीतापुर शहर में स्थित नैमिषारण्य एक पवित्र तीर्थ स्थल है.

Update: 2022-04-11 07:53 GMT

यूपी की राजधानी लखनऊ के पास सीतापुर शहर में स्थित नैमिषारण्य एक पवित्र तीर्थ स्थल है. जहां पर महापुराण लिखे गए थे और पहली बार सत्यनारायण की कथा की गई थी. इस धाम का वर्णन पुराणों में भी पाया जाता है. इसलिए नैमिषारण्य की यात्रा के बिना चार धाम की यात्रा भी अधूरी मानी जाती है. इस सथान को नैमिषारण्य, नैमिष या नीमषार के नाम से भी जाना जाता है. चलिए बताते हैं आपको इस पवित्र स्थल के इतिहास के बारे में.....


जानिए क्यों बना नैमिषारण्य साधुओं की तपोभूमि
कहा जाता है कि नैमिषारण्य वो स्थान है जहां पर ऋषि दधीचि ने लोक कल्याण के लिए अपने वैरी देवराज इन्द्र को अपनी अस्थियां दान की थीं. साथ ही ये भी कहा जाता है कि नैमिषारण्य का नाम नैमिष नामक वन की वजह से रखा गया है. इसके पीछे कहानी ये है कि महाभारत युद्ध के बाद साधु-संत कलियुग के प्रारंभ को लेकर काफी चिंतित थे. इसलिए उन्होंने ब्रह्मा जी से किसी ऐसे स्थान के बारे में बताने के लिए कहा जो कलियुग के प्रभाव से अछूता रहे. इसके बाद बह्माजी ने एक पवित्र चक्र निकाला और उसे पृथ्वी की तरफ घुमाते हुए बोले कि जहां भी ये चक्र रुकेगा, वो स्थान कलियुग के प्रभाव से मुक्त रहेगा. फिर ब्रह्मा जी का चक्र नैमिष वन में आकर रुका. इसीलिए साधु-संतों ने इसी स्थान को अपनी तपोभूमि बना लिया.
भगवान राम ने किया था अश्वमेध यज्ञ
कहा ये भी जाता है कि ब्रह्मा जी ने खुद भी इस स्थान को ध्यान योग के लिए सबसे उत्तम बताया था. जिसके बाद प्राचीन काल में करीब 88 हजार ऋषि -मुनियों ने इस स्थान पर तप किया था. इसके अलावा रामायण में भी ये उल्लेख है कि इसी स्थान पर भगवान श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ पूरा किया था और महर्षि वाल्मीकि, लव-कुश भी उनका मिलन इसी स्थान पर हुआ था. इसके अलावा महाभारत काल में युधिष्ठिर और अर्जुन भी इसी जगह आए थे.

नैमिषारण्य के प्रमुख आकर्षण केन्द्र

इस स्थान के मुख्य आकर्षण की बात करें तो इनमें चक्रतीर्थी, भेतेश्वरनाथ मंदिर,व्यास गद्दी, हवन कुंड, ललिता देवी का मंदिर, पंचप्रयाग, शेष मंदिर, क्षेमकाया, मंदिर, हनुमान गढ़़ी, शिवाला-भैरव जी मंदिर, पंच पांडव मंदिर, पंचपुराण मंदिर, मां आनंदमयी आश्रम, नारदानन्द सरस्वती आश्रम-देवपुरी मंदिर, रामानुज कोट, अहोबिल मंठ और परमहंस गौड़ीय मठ आदि के नाम शामिल हैं.


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