निकाय चुनाव की सरगर्मियां धीरे-धीरे फिर से होने लगी है तेज

Update: 2023-02-26 08:51 GMT

जौनपुर: खेतासराय राजनीति का चस्का ही ऐसा है जो अच्छे अच्छों को दोस्त से दुश्मन बना देते हैं। खेतासराय और शाहगंज के राजनीति के इतिहास में ऐसे कई नेताओं की कहानियां भरी पड़ी हैं। जो कभी गहरे मित्र, मार्गदर्शक और अनुयायी भी थे, लेकिन आज राजनीति ने उनके रिश्ते में लंबी दरार खीच दी है। चुनावी जंग में वे एक-दूसरे का चेहरा भी नहीं देखना चाहते। दोस्त से दुश्मन बने नेताओं की सियासी कहानियों की चर्चा इन दिनों निकाय चुनाव में तेज हो गयीं हैं। निकाय चुनाव की सरगर्मियां धीरे-धीरे फिर से तेज होने लगीं हैं। सूत्रों की मानें तो मई-जून तक चुनाव होंने की संभावना है, और अभी से चुनाव के मैदान में उतरने वाले नेता अपनी समीकरण बनाने में जुटे हुए हैं। खेतासराय और शाहगंज सीट पर दावेदारी करनें वाले सभी नेता लखनऊ से लेकर दिल्ली तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में पीछे नहीं है। खेतासराय व शाहगंज सीट पर बीजेपी से टिकट की दावेदारी करनें वालों कि लिस्ट काफी लंबी है, वही सपा में भी कई दावेदारों का नाम चर्चा में हैं। और बसपा व कांग्रेस से टिकट के लिए लोग भागदौड़ कर रहें हैं। लेकिन हम बात करें निकाय चुनाव में खेतासराय और शाहगंज सीट से टिकट की दावेदारी कर रहें हैं कुछ ऐसे नेता है जो कल तक एक दुसरे के बेहद करीबी थे, और एक आवाज पर एक दुसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलतें थे।

लेकिन आज चेयरमैन बनने की चाह में वो एक दुसरे का नाम तक सुनना पसंद नहीं करते। हांलाकि अभी आरक्षण की लिस्ट भी आना बाकी है और खेतासराय, शाहगंज की सीट क्या होतीं हैं ? और कौन किस पार्टी से चुनाव लड़ता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा, सभी राष्ट्रीय पार्टीया किसे टिकट देकर मैदान में भेजती यह कुछ कहा नही जा सकता। हां इतना जरूर कहा जा सकता है सियासत में कोई किसी का सगा नहीं होता है।

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