श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर डिजाइनर पोशाक और मुकुट श्रंगार पहनेंगे ठाकुर जी

भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थली में भले ही राजनैतिक रूप से श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर विवाद चल रहा हो, लेकिन यहां आज भी हिन्दू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल कायम है।

Update: 2022-08-08 01:13 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थली में भले ही राजनैतिक रूप से श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर विवाद चल रहा हो, लेकिन यहां आज भी हिन्दू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल कायम है। यहां जाति-धर्म और सम्प्रदाय से ऊपर उठकर अलग ही आपसी भाईचारे और सौहार्द का से परिपूर्ण गंगा जमुनी तहजीब का प्रत्यक्ष उदाहरण देखने को मिलता है। धर्मनगरी में बिना किसी भेदभाव के मुस्लिम कारीगर हिंदू देवी-देवताओं को धारण कराए जाने वाली पोशाक एवं मुकुट श्रंगार को एक इबादत मानकर तैयार करते हैं।

भगवान को धारण कराए जाने वाली पोशाक एवं मुकुट श्रंगार को तैयार करने में यहां पर दर्जनों कारखाने (वर्कशॉप) संचालित हैं। जहां करीब एक हजार से अधिक मुस्लिम कारीगर दिन-रात मेहनत कर इस काम को कर रहे हैं। ये कारीगर इन दिनों भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर धारण कराए जाने के लिए एक से बढ़कर एक डिजाइन की पोशाक एवं मुकुट श्रंगार तैयार करने में जुटे हुए हैं। पोशाक कारीगर राजू एवं इब्राहिम का कहना है कि ईश्वर अल्लाह सब एक ही है। इबादत यानि पूजा करने का तरीका भले ही अलग-अलग हो लेकिन हम सब एक ही खुदा के बंदे हैं। बताया कि वह ठाकुरजी की पोशाक बनाने को भी वह पूजा मानते हैं। उन्हें गर्व है कि देश-विदेश के मंदिरों समेत घर-घर में विराजमान भगवान उनके हाथ की बनाई पोशाक धारण कर रहे हैं।
कारीगर रमजान और अखलाक ने कहा कि भगवान की पूजा और अल्लाह की इबादत में वह कोई अंतर नहीं मानते। वह पूरी निष्ठा और पवित्र भावना के साथ भगवान की पोशाक एवं मुकुट श्रंगार तैयार करते हैं। कारीगर इकराम खां एवं युसुफ ने बताया कि वह अधिकांश काम शोरुम संचालकों के लिए जॉब वर्क के रुप में मजदूर पर करते है। त्यौहार के दिनों में काम लोड कुछ ज्यादा होता है। आजकल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पोशाक और उनकी मेचिंग का मुकुट श्रंगार तैयार करने पर ज्यादा जोर है।
जन्माष्टमी पर प्रभु के लिए तैयार हैं डिजाइनर पोशाक
मंदिरों की नगरी में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव यानि जन्माष्टमी की तैयारियां तेज हो गई हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ठाकुरजी को नई पोशाक धारण कराने के लिए नई-नई वैराइटी और डिजाइन की पोशाक देश-विदेश भेजी जा रही हैं वहीं स्थानीय भक्त भी अपने ठाकुरजी के लिए डिजाइनर पोशाक पसंद कर रहे हैं। बता दें कि भगवान के जन्म दिन पर हर कोई अच्छी से अच्छी पोशाक धारण कराता है। पोशाक एवं मुकुट श्रंगार के शोरुम पर इस बार एक से बढ़कर एक डिजाइनर पोशाक ग्राहकों की पहली पसंद बनी हुई हैं।
कोई अपने ठाकुरजी के लिए जरदौजी, आरी, स्टोन वर्क, कुंदन वर्क, रेशम वर्क, सिरोस्की एंड सॉफ्टी वर्क से तैयार मोर, तोता, लोटस, सनफ्लावर, माखन मिश्री, कलश, गणेशजी, वन उपवन, चिड़िया, गाय, रथ, भगवान पर जल बरसाते हाथी आदि डिजाइन की पोशाक खरीद रहा है तो कोई अपने बजट के हिसाब से कम कीमत वाली पोशाक पसंद कर रहा है। पोशाक एवं मुकुट श्रंगार शोरुम संचालक विष्णु प्रसाद गुप्ता ने बताया कि जन्माष्टमी पर्व के लिए इस बार उनके यहां कई वैराइटी की डिजाइनर पोशाक उपलब्ध हैं। बताया कि उनके यहां तैयार कराई गई पोशाक देश-विदेश के कई प्रमुख मंदिरों समेत भक्त अपने घरों में विराजमान ठाकुरजी को धारण कराई जाएंगी।
देश-विदेश से मिल रहे पोशाक-मुकुट श्रंगार के आर्डर
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ठाकुरजी नई पोशाक धारण कराने के लिए देश-विदेश से भक्त यहां के शोरुम संचालक एवं कारीगरों को आर्डर भेज रहे हैं। जन्माष्टमी के लिए यहां से दिल्ली, चंडीगढ़, अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, मैसूर, कोयम्बटूर, चैन्नई, हैदराबाद, मायापुर, कोतलकाला, हुबली, भोपाल, हरिद्वार, देहरादून समेत अमेरिका, इंग्लैंड, मॉरीशस, मालदीव, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, न्यूजर्सी, कोलंबिया, ऑकलैंड, रुस, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, श्रीलंका, नेपाल आदि देशों के बड़े मंदिरों एवं घरों में विराजमान ठाकुरजी के लिए पोशाक एवं मुकुट श्रंगार के ऑर्डर मिले हैं। जिन्हें तैयार कर भेजा जा रहा है।
पोशाक
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बाल गोपाल को धारण कराए जाने के लिए इस बार कई वैराइटी की पोशाक बाजार में ग्राहकों को आकर्षित कर रही हैं। इनमें साटन एवं सिल्क पर जरदौजी वर्क, कुंदन वर्क एवं फ्लावर वर्क की पोशाक पही पसंद बनी हुई हैं। ये पोशाक 100 रुपये से 2000 रुपये तक की रेंज में बाजार में उपलब्ध हैं।
मुकुट एवं पगड़ी
ठाकुरजी को जन्माष्टमी पर नई पोशाक के साथ धारण कराने के लिए मेचिंग के अनुरुप नए मुकुट श्रंगार की खरीदारी भी हो रही है। इसमें जरीवर्क, कुंदल वर्क, सिरोस्की वर्क, अमेरिकन डायमंड (एडी), मोती से बने मुकुट एवं पगड़ी की बड़ी रेंज बाजार में छाई हुई है। वहीं मैटल से बने मुकुट भी ग्राहकों को भा रहे हैं। ये मुकुट एवं पगड़ी 20 रुपये से 1500 रुपये की रेंज में शोरुम पर उपलब्ध हैं।
बांसुरी
जनमाष्टमी पर बालगोपाल को धारण कराए जाने के लिए बांसुरी भी भक्तों को आकर्षित कर रही है। इस बार मैटल की नई डिजाइनों की बांसुरी आई हैं। इनमें अलग-अलग डिजाइन के मयूर (मोर) और उसमें लगी लटकन बांसुरी के आकर्षण को चार चांद लगा रही है। ये बांसुरी 20 से 200 रुपये की कीमत में बिक रही हैं।
मोरमुकुट
लड्डू गोपाल के प्रिय मोर पंख से बने मोर मुकुट की भी अच्छी खासी रेंज बाजार में आई है। भक्त जन्माष्टमी पर अपने लड्डू गोपाल को धारण कराने के खूब खरीद रहे हैं। मैटल और जरी वर्क के मुकुट से जुड़े मोरपंख का सेट 20 से 150 रुपये में मिल रहा है।
पालना
बालगोपाल के जन्म के बाद उन्हें पालना में विराजमान कर लाड़ लड़ाने के लिए पालना भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। इनमें लकड़ी, मैटर, फाइवर एवं रंगबिरंगे फूलों से बने एलईडी लाइट वाले पालना लड्डूगोपाल के भक्तों को खूब पसंद आ रहे हैं। बाजार में अलग-अलग साइज एवं वैराइटी के पालना 150 से 2500 रुपये की रेंज में बिक रहे हैं।


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