मेरठ: अपने जीवन की उलझन को कैसे मैं सुलझाऊं, अपनों ने जो दर्द दिये हैं कैसे मैं बतलाऊं। यही दर्द आजकल लोगों की जिंदगियों को लील रहा है। आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ते नजर आ रहे हैं। ऐसा कोई दिन नहीं जा रहा है जब लोग जिंदगी की जंग हारकर दुनिया छोड़ने में देरी नहीं कर रहे हैं। अगर इस साल की बात करें तो एक जनवरी से लेकर अब 48 लोगों ने फांसी या जहर खाकर जान दे दी है। गत वर्ष अक्तूबर में एक दिन में तीन युवाओं ने फांसी के फंदे पर लटककर जान दे दी।
हर आत्महत्या के पीछे उसकी एक दर्दनाक कहानी है और उसमें तनाव विलेन का रोल अदा करता दिखेगा। सहनशक्ति कम होना और जिंदगी की जंग में खुद को कमजोर महसूस करने से लोग तनाव में आ रहे हैं और जिंदगी को दांव पर लगा रहे हैं। पल्लवपुरम में बीएससी के छात्र यश का शव कमरे में पंखे से लटका देख परिजनों के होश उड़ गए। इंचौली थानाक्षेत्र में किसान के युवा बेटे ने खुद की कनपटी पर गोली मारकर मौत चुन ली।
पढ़ लिख कर कुछ बेहतर करने की उम्र में आखिर युवा मौत को क्यों चुन रहे हैं यह एक बड़ा सवाल है, लेकिन युवाओं में इस तरह आत्महत्याओं का बढ़ना चिंताजनक है। पुलिस लाइन में रहने वाला दारोगा इंद्रजीत सिंह सहारनपुर में तैनात था। पुलिस के मुताबिक दारोगा इंद्रजीत सिंह ने अपने सरकारी आवास पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या की थी। देर रात पत्नी से हुई कहासुनी के बाद दारोगा इंद्रजीत सिंह ने यह कदम उठाया था।
नौचंदी क्षेत्र में 23 साल के युवक ने पंखे से फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली थी। परिजनों का आरोप है कि उसका एक मुस्लिम लड़की से अफेयर था और वह उसी के साथ ही रह रहा था। लड़की और उसके परिजन युवक पर धर्म परिवर्तन करने का दबाव बना रहे थे। इसी से तंग आकर उसने आत्महत्या कर ली। गत माह ट्रेन से कटकर पांच युवाओं ने जान दी। आखिर क्यों तनाव बढ़ रहा है और लोग उसे झेल नहीं पा रहे हैं।