छह साल की अनुप्रिया यादव बनी दुनिया की नंबर वन शतरंज खिलाड़ी, वर्ल्ड रैंकिंग में हासिल किया पहला स्थान

Update: 2023-06-09 18:50 GMT

संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में छह साल की बेटी ने शतरंज की वर्ल्ड रैंकिंग (World Ranking) में पहला स्थान हासिल कर दुनिया भर में देश का नाम रोशन किया है. इंटरनेशनल चेस फेडरेशन ने सात साल तक के बच्चों की जो ताजा वर्ल्ड रैंकिंग जारी की है, उसमें प्रयागराज की छह साल की अनुप्रिया यादव (Anupriya Yadav) को पहला स्थान मिला है. जिस उम्र में दूसरे बच्चे गुड्डे-गुड़ियों और खिलौनों से खेलते हैं, उस उम्र में अनुप्रिया शतरंज की बिसात पर जिस तरह की चाल चलती है, वह बड़े-बड़े दिग्गजों को भी हैरान कर देती है.

वर्ल्ड रैंकिंग की इस कैटेगरी में फ्रांस की बुनी को दूसरा, बांग्लादेश की वारिसा को तीसरा और इंग्लैंड की नूवी को चौथा स्थान हासिल हुआ है. दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी अनुप्रिया यादव भारत के ही विश्वनाथन आनंद को अपना आइडियल मानती है और उनके जैसे ही ग्रैंड मास्टर बनना चाहती है. पहली क्लास में पढ़ाई कर रही अनुप्रिया को जितनी दिलचस्पी शतरंज खेलने में है, उतना ही शौक उसे फिल्मी गानों पर डांस करने का भी है.

शतंरज वर्ल्ड रैंकिंग में मिला पहला स्थान

अनुप्रिया यादव प्रयागराज के नैनी इलाके की रहने वाली है. उसके माता-पिता दोनों ही टीचर हैं. अनुप्रिया की बड़ी बहन प्रिया भी बचपन से ही शतरंज खेलती थी. प्रिया ने भी तमाम खिताब जीते हुए हैं. बड़ी बहन प्रिया को देख कर ही अनुप्रिया की दिलचस्पी भी शतरंज खेलने में हुई. शतरंज में अनुप्रिया की दिलचस्पी को देखकर उसकी मां सरस्वती देवी ने भी यह खेल सीखा.

अनुप्रिया ने शतरंज की बारीकियां अपनी बड़ी बहन प्रिया और मां सरस्वती देवी से सीखीं. थोड़े ही दिनों में वह इस खेल में इतनी माहिर हो गई कि बड़े बड़े खिलाड़ियों को मात देने लगी. अनुप्रिया भारत के साथ ही नेपाल समेत कई दूसरे देशों में भी चैंपियनशिप खेल चुकी है. मई महीने में नेपाल में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप खिताब जीतने के बाद ही शतरंज फेडरेशन ने वर्ल्ड रैंकिंग जारी की है, जिसमें अनुप्रिया को पहला स्थान मिला है.

छात्रा की कामयाबी से स्कूल गदगद

अनुप्रिया प्रयागराज के प्रतिष्ठित स्कूल बेथनी कॉन्वेंट में पहली क्लास की छात्रा है. स्कूल की प्रिंसिपल सिस्टर समिथा से लेकर स्पोर्ट्स टीचर मोहम्मद साबिर तक उसकी इस उपलब्धि से खासे गदगद हैं. उनका मानना है कि स्कूल में पढ़ाई करने वाले तमाम दूसरे बच्चों को भी नन्ही अनुप्रिया से प्रेरणा मिलेगी और वह भी अलग-अलग क्षेत्रों में इसी तरह से अपने परिवार शहर व देश का नाम रोशन करने की कोशिश करेंगे. वर्ल्ड रैंकिंग में पहला स्थान हासिल करने के बाद अनुप्रिया के स्कूल में उसे सम्मानित भी किया है.

पीएम मोदी को भेंट करना चाहती है मेडल

अनुप्रिया के माता-पिता भी बेटी की इस उपलब्धि पर फूले नहीं समा रहे हैं. माता-पिता अपनी बेटी को शतरंज के खेल में सबसे ऊंचे मुकाम पर देखना चाहते हैं. उनका मानना है कि बेटियां कतई बेटों से कम नहीं होती, यह उनकी बेटियों ने साबित कर दिया है. आज दुनिया भर में उनकी पहचान बेटियों की वजह से हो रही है. अनुप्रिया अभी भले ही 6 साल की हो लेकिन वह अनुभवी खिलाड़ी की तरह शतरंज के मोहरों का इस्तेमाल तो करती ही है, लेकिन साथ ही बिना किसी झिझक के मीडिया के कैमरों का सामना भी करती है और बेबाकी से हर सवाल का जवाब भी देती है. उसका कहना है कि वह पीएम नरेंद्र मोदी के बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान से प्रेरित है और देश के लिए तमाम मेडल जीतकर उन्हें भेंट करना चाहती हैं.

नन्ही और मासूम अनुप्रिया ने उस कहावत को भी सार्थक साबित किया है कि प्रतिभा कभी उम्र की मोहताज नहीं होती और पूत के पांव पालने में ही नजर आने लगते हैं. 6 साल की अनुप्रिया आज जिस अंदाज में बड़े-बड़े खिलाड़ियों को शतरंज की बिसात पर मात दे रही है, कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में वह इसी तरह से दुनिया भर में देश का नाम रोशन करती रहेगी. 

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