किठौर: सरकारी मंडी की आस लगाए बैठे शाहजहांपुर के व्यापारियों को फिलहाल प्रशासन से निजी मंडी निर्माण का आॅफर मिला है। जिसमें इच्छुक व्यक्ति, संस्था या समूह सरकार से सशर्त मुफ्त लाइसेंस प्राप्ति के साथ इंवेस्टमेंट कर मुनाफा कमा सकता है।
इसमें निमार्ता फर्म को अर्जित आय का 25 प्रतिशत कृषि विपणन विभाग, 50 प्रतिशत मंडी के रखरखाव पर खर्च करना होगा। व्यापारियों ने प्रशासन के इस आॅफर पर चुप्पी साध सरकारी मंडी निर्माण की मांग दोहराई। शाहजहांपुर में सरकारी मंडी निर्माण का मुद्दा करीब तीन दशक पुराना है। चुनावी समर में यह मुद्दा अक्सर जोर पकड़ता है। जिसे देख करीब लगभग आठ वर्ष पूर्व सपा शासनकाल में मंडी निर्माण कार्य को अमलीजामा पहनाने के प्रयास तेज हुए। नित्यानंदपुर मार्ग पर किसानों से भूमि भी अधिग्रहीत की गई। लेकिन ऐनवक्त पर भूमि के रेट को लेकर मामला अटक गया। जिसके बाद यह मुद्दा पुन: ठंडे बस्ते में चला गया।
बहरहाल 12 दिसंबर को आयुक्त सेल्वा कुमारी जे. के निर्देश पर व्यापारियों को भेजे पत्र के क्रम में गुरुवार को मेरठ मंडी समिति सचिव विजन बालियान ने शाहजहांपुर में व्यापारियों संग बैठक की। उन्होंने आयुक्त के पत्र का हवाला देते हुए बताया कि प्रदेश सरकार किसान व व्यापारियों के हितों के दृष्टिगत अधिकाधिक मंडिया विकसित करने की योजना पर काम कर रही है। निजी मंडी निर्माण पर भी सरकार की खास तवज्जो है।
निजी मंडी को बताया मुनाफे का सौदा: मंडी समिति सचिव विजन बालियान ने बताया यदि कोई व्यक्ति, संस्था, समूह निजी मंडी निर्माण का इच्छुक है तो प्रदेश कृषि निदेशालय उसे सशर्त मुफ्त लाइसेंस मुहैया कराएगा। इसके लिए इच्छुक फर्म को कृषि विपणन विभाग में आवेदन करना होगा। उन्होंने निजी मंडी को मोटे मुनाफे का सौदा बताते हुए व्यापारियों से शाहजहांपुर में निजी मंडी निर्माण का प्रस्ताव रखा।
ऐसे होगा इंवेस्ट और मुनाफा: सचिव ने बताया कि इच्छुक फर्म को तीन हेक्टेयर निजी भूमि में मंडी निर्माण कराना होगा। मंडी शुरू होने पर फर्म को उपभोक्ता कर का 25 प्रतिशत जिला कृषि विपणन विभाग और 50 प्रतिशत मंडी के डवलेपमेंट पर खर्च करना होगा। 25 प्रतिशत को फर्म मुनाफे के तौर पर अपने पास रखेगी।
व्यापारियों ने उठाए सवाल: वार्ता के दौरान व्यापारियों ने कहा कि निजी मंडी निर्माण रिस्क का सौदा है। शाहजहांपुर में भूमि महंगी है। ऐसे में तीन हेक्टेयर भूमि उपलब्ध होना आसान नहीं। यदि भूमि मुहैया हो भी जाए मंडी निर्माण में पांच-छह करोड़ की लागत आएगी। निजी मंडी में व्यापारियों का रुझान हो जरूरी नहीं। यदि व्यापारी निजी मंडी में शिफ्ट न हुए तो निर्माता फर्म घाटे की शिकार हो जाएगी। उन्होंने कस्बे में सरकारी मंडी निर्माण की मांग दोहराई।