समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री सुमन के सहारे दलितों पर साधा निशाना
दलितों पर साधा निशाना
आगरा: समाजवादी पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रामजीलाल सुमन को राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाया है. सुमन के सहारे पार्टी ने दलितों को साधा.
समाजवादी विचारधारा से निकले रामजीलाल सुमन विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं. कई बड़े छात्र आंदोलनों में जेल की हवा खाने के बाद आपातकाल में भी खुलकर सरकार का विरोध किया. तब 25 जून 1975 को जिले के पहले सत्याग्रही के रूप में उन्हें जेल यात्रा करनी पड़ी.
आपातकाल में जेल जाने के बाद उनकी शिक्षा प्रभावित हुई. लेकिन जेल से बाहर आकर वे दोबारा सक्रिय हो गए. वर्ष 1977 में जनता पार्टी ने उन्हें फिरोजाबाद से लोकसभा का टिकट दिया. सिर्फ 26 साल के सुमन देश के सबसे कम उम्र के सांसद निर्वाचित हुए. यहां से उनका कद और बढ़ा. इसके बाद वे 1989, 1999 और 2004 में चार बार सांसद रहे. वर्ष 1989 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की सरकार में वे केंद्रीय श्रम एवं कल्याण मंत्री भी रहे. तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी की लिखी पुस्तक में सुमन के संसदीय जीवन का विशेष उल्लेख किया गया है. सपा ने उन्हें 20 और 2019 में हाथरस लोकसभा सीट का चुनाव लड़ाया था लेकिन वह सफल नहीं हो पाए. उन्हें हार का सामना करना पड़ा. सपा के संगठन में सुमन 1996 से लगातार राष्ट्रीय महासचिव के पद पर काम कर रहे हैं. पार्टी के संस्थापक पूर्व मुलायम सिंह यादव उन्हें बहुत मानते थे.
शुरू से रहे बेबाक और तेजतर्रार सुमन स्पष्टवक्ता और बेबाकी के लिए जाने जाते हैं. छात्र जीवन में ही उनका यह गुण बड़े नेताओं को दिखा. वर्ष 1971 में हाथरस में एमजी पालीटेक्निक के छात्र रवेंद्र और बंटी की हत्या हुई थी. इसके बाद बड़ा छात्र आंदोलन छेड़ा गया. इसका नेतृत्व सुमन ने ही किया था. इसी आंदोलन के बाद वे तमाम बड़े नेताओं की नजरों में आए. लेकिन उन्होंने समाजवादी विचारधारा का साथ पकड़ा और आगे बढ़ते गए.
222
● कुल हैसियत-222,18,189,75
● हाथ में नकदी-60 हजार रुपये.
● तीन बैंक खातों में जमा-30 लाख.
● एलआईसी-2 लाख 80 हजार रुपये.
● सोने की अंगूठी,चेन-3 लाख रुपये.
● हाथरस के सादाबाद में बीघा कृषि योग्य भूमि.
लोकसभा हो या राज्यसभा, यह जनता के आधिकारों के लिए आवाज उठाने और संघर्ष का स्थान है. इसका मुझे भलीभांति ज्ञान है. अगर मौका मिलता है तो गरीब, दलित, कमजोर, बेरोजगार, किसान, व्यापारी, विद्यार्थी, महिलाओं के लिए आवाज उठाई जाएगी. अभी प्राथमिकताएं तय करने का वक्त नहीं है. पहले सभी नामांकन हो जाएं, निर्वाचन हो जाए तब ही कुछ कहा जा सकेगा.
रामजीलाल सुमन
राष्ट्रीय महासचिव सपा.
दलित वोटरों पर पड़ेगा असर
आगरा के साथ अलीगढ़, हाथरस और फिरोजाबाद में सुमन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. इन इलाकों में उन्होंने लंबे समय तक काम किया है. पार्टी ने इसी को ध्यान में रखते हुए उन्हें उम्मीदवार बनाया है. पार्टी लोकसभा चुनावों में उन्हें संबंधित जिलों में स्टार प्रचारक बनाकर भेज सकती है. इस बार फिरोजाबाद के साथ हाथरस की सीट पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है. इन इलाकों के दलित-मुस्लिम वोटर गणित बिगाड़ सकते हैं.
आगरा-अलीगढ़ से पहुंचे समर्थक
राज्यसभा की उम्मीदवारी के बाद आगरा और अलीगढ़ मंडल में उनके समर्थकों के बीच खुशी की लहर है. दोनों मंडलों से तमाम कार्यकर्ता और समर्थक उनके साथ रात को ही लखनऊ पहुंच गए. पार्टी के जिलाध्यक्ष श्रीकृष्ण वर्मा, धर्मेंद्र यादव, सलीम शाह, डा. वीरेंद्र सिंह चौहान, महेश सिसोदिया, अरुण शर्मा, रामनरेश यादव, दिवाकर गुर्जर, रविकांत मिश्रा, राजकुमार फौजी, सुनील जिद्दी, पवन प्रजापति, संदीप यादव साथ रहे.