देश भर के संत करेंगे ज्ञानवापी की यात्रा और पूजन

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Update: 2022-08-14 11:03 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: अमरउजाला 

राष्ट्रीय एकता और अखंडता के साथ ही ज्ञानवापी और हिंदुत्व पर मंथन के लिए देश भर के धर्माचार्यों ने रविवार को काशी में मंथन किया। सिगरा स्थित ब्रह्मर्षि आवास पर आयोजित बैठक में देश भर के महामंडलेश्वर शामिल रहे। अखिल भारतीय संत समिति की ओर से आयोजित बैठक में ज्ञानवापी के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।
संतों ने प्रस्ताव पारित किया कि ज्ञानवापी मामले को संत समाज आंदोलन का रूप देगा। ज्ञानवापी मसले पर धार्मिक विभाजन हो रहा है। यह ठीक नहीं है। इस पर समाज का मार्गदर्शन करना जरूरी है।इसके लिए महामंडलेश्वर का कार्य कर्तव्य निर्धारित होगा। सरकार की ओर से प्रोटोकॉल निर्धारित करने की मांग होगी। आगामी दिनों में देशभर के संत काशी आएंगे। सभी ज्ञानवापी की यात्रा-परिक्रमा और पूजन करेंगे।
हर घर में ज्ञानवापी की पूजा होनी चाहिए
शिव की नगरी काशी को मांस-मदिरा मुक्त करने की मांग भी उठाई जाएगी। संतों ने एक स्वर में कहा कि हर घर में ज्ञानवापी की पूजा शुरू होनी चाहिए। भगवान भाव के भूखे हैं। लोग ज्ञानवापी परिसर में पहुंचे और बाहर ही जल- फूल चढ़ाएं।
अखिल भारतीय संत समिति महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि धर्माचार्यों की इस बैठक में पारित प्रस्तावों के बारे में जल्द ही विस्तार में जानकारी दी जाएगी। बैठक से पूर्व सभी धर्माचार्यों ने तिरंगा अभियान में हिस्सा लिया। मां भारती के जयकारे लगाए। आम जनमानस से स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराने की अपील की।
संतों ने कहा कि यह हम सभी का सौभाग्य है कि हम देश की आजादी के 75वें वर्ष के साक्षी बन रहे हैं। इस दौरान महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी, महामंडलेश्वर अभयानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर चंद्रेश्वर गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद पुरी, स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, महंत बालक दास और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी शामिल रहे।
हिंदुओं को बच्चे पैदा करना जरूरी
महामंडलेश्वर अभयानंद सरस्वती ने कहा कि आज हिंदू समाज एक बच्चा पैदा करने के पक्ष में नहीं है। इसके लिए अब बोलना होगा। हिंदू समाज के विचारों में डालना होगा कि बच्चे दो चार होने चाहिए। अगर यह स्थिति रही तो मां भारती की और हिंदू धर्म की रक्षा कौन करेगा। उन्होंने कहा कि बहुसंख्यक बने रहने के लिए हिंदुओं को बच्चे पैदा करना जरूरी है।
कहा कि अगर बच्चा पाल नहीं पा रहे हैं तो उसे हमें दे दीजिए। मठ पालन कर लेगा। एक बच्चे के सिद्धांत से हिंदुओं को महात्मा कहां से मिलेंगे। स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि हिंदू समाज के लोग कम से कम पांच संतान पैदा करें। एक अपने पास रखें और चार संत समाज को दे दें।
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