रालोद डा. राजकुमार सांगवान को लड़ा सकती है, मनीषा अहलावत भी कर रही है दावेदारी
मेरठ न्यूज़: महापौर की सीट गठबंधन के साझीदार रालोद पर जा सकती है। इसकी प्रबल संभावनाएं जताई जा रही हैं। रालोद के नेताओं की मेयर कि सीट को लेकर दावेदारी बढ़ गई है। चर्चा यह भी है कि रालोद के पुराने नेता डा. राजकुमार सांगवान को मेयर उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। डा. राजकुमार का मजबूत चेहरा इस चुनाव में गुल खिला सकता है। लंबे समय से डा. राजकुमार सांगवान रालोद से जुड़े हुए हैं। निकाय चुनाव में रालोद की क्या स्थिति होगी? नगर पंचायत, नगर निगम या फिर नगरपालिका के चुनाव कौन लड़ेगा? इसको लेकर रविवार को रालोद के पदाधिकारियों की मीटिंग हो रही है, जिसमें निकाय चुनाव को लेकर तमाम बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी। दावेदारों के नाम पर भी चर्चा होगी। मनीषा अहलावत महापौर प्रत्याशी की दावेदार है। कुछ और भी नेता ऐसे हैं, जो रालोद से महापौर के पद पर चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं, लेकिन रालोद ऐसे नेता को चुनाव मैदान में उतारेगी,
जो भाजपा पर भारी पड़े। रालोद के प्रांतीय प्रवक्ता सुनील रोहटा ने बताया कि निकाय चुनाव की रणनीति बनाने के लिए ही रविवार को बैठक बुलाई गई है, जिसमें जनपद के तमाम नेताओं को बुलाया गया है। इस बैठक में ही कहा कौन चुनाव लड़ेगा, इस पर चर्चा की जाएगी। हालांकि फाइनल मुहर राष्टÑीय अध्यक्ष से चर्चा करने के बाद ही लगाई जाएगी।
'कुरैशी घराने' में राजनीतिक घमासान की सुगबुगाहट!
मेरठ में कुरैशी राजनीति के दो महारथी इस समय एक प्रकार से राजनीतिक परिदृश्य से ओझल हैं। मुस्लिम राजनीति की धुरी माने जाने वाले ये दोनों कुरैशी परिवार एक प्रकार से राजनीतिक वनवास झेल रहे हैं। पूर्व मंत्री याकू ब कुरैशी इस समय शासन-प्रशासन की आंखों की किरकिरी के चलते भूमिगत हैं। उन पर अवैध रुप से मीट कारोबार के संचालन का आरोप है।
उधर, मुस्लिम राजनीति की दूसरी धुरी शाहिद अखलाक भी एक बार मेयर व सांसद बनने के बाद से अभी तक भी अपने लिए कोई स्थाई ठौर नहीं ढूंढ पाए हैं। याकूब कुरैशी परिवार सहित पिछले काफी समय से अपने खिलाफ कार्रवाई से आंशकित होकर फरार चल रहे हैं। हालांकि उनका छोटा बेटा फिरोज उर्फ भूरा पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है। पुलिस बाकी सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए खाक छान रही है, लेकिन नतीजा सिफर है।
अगर मेरठ में मुस्लिम राजनीति की बात करें तो ले देकर इन्ही दो नामों पर फोकस रहता है। दोनों के एक साथ चुनावी समर में कूदने पर मुस्लिम वोटों में सीधे तौर पर बंटवारे की आशंका बनी रहती है। इसीलिए भी दोनों नेता आमने सामने चुनाव लड़ने से बचते हैं। इस समय याकूब कुरैशी का पूरा भविष्य दांव पर लगा हुआ है। वो भूमिगत हैं, जबकि मिशन 2024 सिर पर है।
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए नहीं लगता कि याकूब परिवार का कोई भी सदस्य आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए हिम्मत जुटा पाए। इसी परिदृष्य को ध्यान में रखते हुए पूर्व सांसद हाजी शाहिद अखलाक के छोटे भाई राशिद अखलाक ने गत् दिनों बाकायदा प्रेस कांफें्रस कर इस बात की इच्छा जताई थी कि वो भविष्य में कोई बड़ा चुनाव लड़ेंगे। उनके दिमाग में जरुर मेयर व मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट का खाका खिंच रहा होगा।
सूत्रों के अनुसार राश्दि अखलाक के चुनाव लड़ने पर फिलहाल अखलाक परिवार में ही एक राय नहीं बन पा रही है। सूत्र बताते हैं कि अखलाक परिवार से शाहिद अखलाक खुद इस बार सांसद सीट से भाग्य आजमाना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें इस बात की उम्मीद है कि याकूब परिवार के किसी भी सदस्य के चुनाव न लड़ने की स्थिति में मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण सीधे तौर पर उनके पक्ष में हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार शाहिद अखलाक यह भी नहीं चाहेंगे कि राशिद फिलहाल कोई चुनाव लड़ें, क्योंकि यदि खुदा न खास्ता राशिद के चुनाव लड़ने के दौरान अखलाक फैमिली को कोई चुनावी नुकसान होता है तो इसका सीधा असर शाहिद अखलाक की भविष्य की राजनीतिक रणनीति पर पड़ना स्वभाविक है। सूत्र यह भी बताते हैं कि इन्ही सब गुणा भाग के आधार पर अखलाक फैमिली ने अब राशिद अखलाक के चुनाव लड़ने को लेकर 'रेड सिग्नल' दे दिया है।